राष्ट्रीय (17/03/2013)
कम्पनी पर खनिज रॉयल्टी के लाखों रूपये बकाया
खनिज विभाग ने साल भर से नहीं की वसूली ...सुप्रीम कोर्ट के खनन संबंधी अदेषों की धज्जियां उड़ाते हुए जिले की खनिज सम्पदा पर खुलेआम डाका डाल कर सड़क बना रही जीव्हीआर कम्पनी के सामने जिला प्रषासन नतमस्तक हो चुका है। शायद इसीलिए अब तक खनिज सम्पदा के लुटेरों के खिलाफ अवैध उत्खनन एवं भण्डारण संबंधी प्रावधानों के तहत् कार्यवाही नहीं की गई। जिला प्राषासन में इतना भी साहस नहीं कि वह स्वीकृत खनिज लीजों की रॉयल्टी जीव्हीआर से जमा करा सके। परिणामस्वरूप वर्ष भर पूर्व स्वीकृत मुरूम-गिट्टी और बजरी की लीजों की जीव्हीआर पर लाखां रूपये की खनिज रॉयल्टी बकाया है।
पन्ना- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली प्रदेश की भाजपा सरकार में माफिया और सड़क निर्माण कम्पनियां द्वारा नियम कानूनों को ठेंगा दिखाकर जिस स्तर पर अवैध उत्खनन किया जा रहा है वह किसी से छिपा नहीं है। पन्ना जिले के परिपेक्ष्य में बात करें तो यहां राजनैतिक संरक्षण में खनन माफिया की हुकूमत चल रही है। बेखौफ-बेलगाम खनन माफिया कभी रेत के लिए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर दिनदहाड़े गोलियां बरसाते हैं। तो कभी बेहद दुस्साहसिक कदम उठाते हुए अवैध उत्खनन के मामले में जप्त दो दर्जन ट्रकों को पुलिस अभिरक्षा से छुड़ाकर भाग निकलते हैं। खनन माफिया के तांडव की इन घटनाओं से राष्ट्रीय स्तर पर हुई किरकिरी के बाद अवैध उत्खनन पर प्रभावी नकेल कसने कलेक्टर, कमिश्नर से लेकर मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री तक ने कई बार कार्यवाही हेतु आदेश-निर्देश दिये लेकिन जिले में इन पर अमल नहीं हुआ। अवैध उत्खनन पर अंकुश लगाने जिम्मेदार अधिकारियों में दृढ़ इच्छाशक्ति और ईमानदार प्रयासों के आभाव में जिले में अवैध उत्खनन नासूर बन चुका है। चिन्ता की बात यह है कि अब स्थानीय खनन माफिया के साथ मिलकर बड़ी कम्पनियां तक जिले की खनिज सम्पदा पर दिन-रात डाका डाल रहीं हैं। दिलीप बिल्डिकॉन और जीव्हीआर कम्पनी का मामला इस बात का प्रमाण है। लीज देकर नहीं वसूली खनिज रॉयल्टी- पन्ना से अमानगंज व्हाया सिमरिया तक 97 करोड़ की लागत से करीब 58.20 किमी लम्बाई वाली सड़क का निर्माण कर रही दक्षिण भारतीय कम्पनी जीव्हीआर को जिले के खनिज विभाग ने आवश्यक निर्माण सामग्री की लीज देने जितनी उत्सुकता और तत्परता दिखाई उतनी तत्परता खनिज रॉयल्टी की वसूली में देखने में नहीं मिली। परिणामस्वरूप जीव्हीआर कम्पनी पर खनिज रॉयल्टी के लाखों रूपये साल भर से बकाया हैं। प्रशासनिक सूत्रों से हासिल जानकारी के मुताबिक कम्पनी को बांधीकलां में 20 हजार घनमीटर मुरूम के उत्खनन के लिए खसरा क्रमांक 166 में 1.45 हैक्टेयर की लीज स्वीकृत की गई। जिसकी खनिज रॉयल्टी के 5.40 लाख में कम्पनी की ओर से 2.54 लाख रूपये जमा किये गये। तारा में 30 हजार घनमीटर गिट्टी के उत्खनन के लिए खसरा क्रमांक 71 रकवा 2 हैक्टेयर में लीज की अनुमति दी गई। इस लीज की खनिज रॉयल्टी 13 लाख 20 हजार में कम्पनी की ओर से 10 लाख 26 हजार रूपये जमा कराये गये। वहीं पुरैना में 1 लाख 80 हजार घनमीटर बजरी के उत्खनन के लिए केन नदी में खसरा क्रमांक 468 रकवा 2 हैक्टेयर की लीज स्वीकृत है। बजरी की लीज की खनिज रॉयल्टी के 95 लाख 40 हजार रूपये के विरूद्ध जीव्हीआर कम्पनी के सिर्फ 5 लाख रूपये जमा जमा हैं। यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि मुरूम गिट्टी और बजरी की लीज खनिज विभाग द्वारा वर्ष 2012 के फरवरी और मार्च माह में स्वीकृत की गईं। यानि कि खदानों को स्वीकृत हुए 1 वर्ष हो चुका है लेकिन अब तक जीव्हीआर कम्पनी से खनिज रॉयल्टी की बकाया राशि का तकाजा करना जिम्मेदार अधिकारियों ने उचित नहीं समझा। जबकि मध्यप्रदेश शासन खनिज साधन विभाग के स्पष्ट निर्देश है कि गौड़ खनिज की स्वीकृत लीजों की सम्पूर्ण राशि (रॉयल्टी) शीघ्र अति शीघ्र जमा करायी जाये। खनिज रॉयल्टी की बकाया राशि जमा कराने में जिले के खनिज विभाग द्वारा बरती जा रही घोर उदासीनता से कई सवाल खड़े हो रहे है। जीव्हीआर कम्पनी पर मेहरबानी के मामले में कटघरे में खड़े खनिज विभाग के अधिकारियों के पास इन सवालों का कोई संतोषजनक जवाब नहीं है। इनका कहना है-
आपके द्वारा बताये गये तथ्य मेरी जानकारी में नहीं थे। अवैध उत्खनन बेहद गंभीर विषय है। सड़क निर्माण करा रही कम्पनी के विरूद्ध कार्यवाही सुनिश्चित कर खनिज सम्पदा के अवैध उत्खनन एवं भण्डारण की पाई-पाई वसूल की जायेगी। - आरके माथुर, कमिश्नर सागर संभाग |