बहुमूल्य खनिज सम्पदा की प्रचुर उपलब्धता वाले पन्ना जिले में व्यवस्था के निकम्मेपन के कारण अवैध उत्खनन बेलगाम हो चुका है। खनन माफिया से लेकर सड़क निर्माण कर रहीं कंपनियां तक जिले की खनिज सम्पदा पर खुलेआम डकैती डाल रहीं हैं। दिलीप बिल्डिकॉन के अवैध उत्खनन का शोर अभी थमा भी नहीं कि सिमरिया व्हाया अमानगंज से पन्ना तक सड़क निर्माण कर रही जीव्हीआर कंपनी ने नियम कानूनों को ठेंगा दिखाते हुए अवैध उत्खनन के सारे रिकार्ड ही तोड़ डाले। तारा में स्थित कंपनी के क्रेशर प्लांट में सीना ताने खड़े गिट्टी के पहाड़ इस बात का प्रमाण है कि मध्यप्रदेश का पन्ना जिला अवैध उत्खनन के मामले बेल्लारी से भी आगे निकल चुका है। पन्ना- ईस्ट इंडिया कम्पनी की तर्ज पर काम कर रहीं सड़क कंपनियां जिले की अकूत खनिज संपदा को हर दिन लूट रहीं है। अकेले जीव्हीआर कंपनी गिट्टी का अवैध रूप से उत्खनन और भण्डारण कर शासन को अब तक करोड़ो रूपये की खनिज रॉयल्टी का चूना लगा चुकी है। ऐसा नहीं कि जिला प्रशासन को इस बात की खबर नहीं है। सब कुछ जानने के बावजूद बेतहासा अवैध उत्खनन के इस मामले में अब तक प्रभावी कार्यवाही न होना समझ से परे है। बैठकों में अवैध उत्खनन पर नकेल कसने के आये दिन निर्देश देने वाले अधिकारी भी शायद अपने कर्तव्य और पदीय दायित्वों को भूल चुके हैं। ऐसे में जीव्हीआर के प्रति जिला प्रशासन की रहमदिली पर सवाल उठना स्वाभाविक है। चंूकि मामला करोड़ों के अवैध उत्खनन और भण्डारण से जुड़ा है। सुको के आदेश की अवहेलना बीओटी योजना अंतर्गत सिमरिया से अमानगंज होकर पन्ना तक बनने वाली 58.20 किमी लम्बी सड़क की लागत 97 करोड़ 13 लाख है। सड़क निर्माण हेतु जीव्हीआर कम्पनी को खनिज विभाग द्वारा तारा ग्राम में 30 हजार घनमीटर गिट्टी खनन के लिए लीज स्वीकृत की गई है। जबकि दिनांक 22 फरवरी 2012 की स्थिति में एमपीआरडीसी के संभागीय महाप्रबंधक के पत्र के अनुसार सड़क निर्माण में 34 हजार 429 घनमीटर गिट्टी का उपयोग किये जाने की बात सामने आई है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर स्वीकृत लीज से अधिक 4 हजार 429 घनमीटर गिट्टी जीव्हीआर कम्पनी कहां से लाई ? उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार किसी भी प्रकार के उत्खनन के लिए पर्यावरणीय अनुमति अनिवार्य है। नियमतः स्वीकृत लीज से अधिक मात्रा में यदि गिट्टी की आवश्यकता है तो उसके नये सिरे से लीज स्वीकृत कराने से लेकर पर्यावरणीय अनुमति लेना अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट ओदश है कि पर्यावरणीय अनुमति के बगैर खनिज सम्पदा के खनन के लिए एक कुदाली चलाना भी गैरकानूनी है। पर सत्ताधारी दल का संरक्षण प्राप्त जीव्हीआर कम्पनी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुलेआम अवहेलना कर दिन-रात खनिज सम्पदा को पूरी क्षमता लूट रही है। विश्वस्त सूत्रों की मानंे तो कम्पनी द्वारा स्वीकृति से अधिक गिट्टी उत्खनन का कार्य वैधानिक प्रक्रिया का पालन किये बगैर किया जा रहा है। कम्पनी की ओर से पर्यावरणीय अनुमति तक नहीं ली गई। इनका कहना है |