दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल द्वारा दिये गये अभिभाषण पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल ने कहा कि उपराज्यपाल महोदय ने बिजली के निजीकरण से सरकार को 30,000 करोड़ रूपये लाभ का आंकड़ा गिनाया है। यदि सरकार लाभ में है तो दिल्ली में बिजली के दाम चार बार क्यों बढ़े ? लोगों के घरों में दौगुना, तीनगुना बिजली का बिल क्यों आ रहा है जबकि कम्पनियों और सरकार का दावा है बिजली चोरी पर काफी हद तक अंकुश लगा है। उपराज्यपाल का अभिभाषण सरकार के कामकाज का प्रतिबिम्ब होता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार केयरिंग सरकार है। यदि यह सच है तो मुख्यमंत्री की बेटी स्वयं को असुरक्षित क्यों महसूस करती हैं ? राजधानी के बुजुर्ग, महिलायें, बच्चे घरों में भी डरे-सहमे क्यों रहते हैं ? अभिभा”ाण में कहा गया है कि सारी दुनिया में महंगाई है लेकिन दिल्ली में महंगाई कम है। सच यह है कि राजधानी में 15 साल से सरकार में रहते हुये भी कांग्रेस सरकार लोगों के लिए पानी, बिजली, सस्ता अनाज, सस्ता ईंधन, उचित मूल्य पर खाद्यान्न, फल, सब्जी आदि का इंतजाम क्यों नहीं कर पाई है ? दिल्ली में पानी के दामों में जल बोर्ड ने लगभग दसगुना की बेतहाशा वृद्धि की है। इसके बावजूद लोगों को स्वच्छ और निरापद जल नसीब नहीं है। 40 प्रतिशत दिल्लीवासियों को पानी के लिए निजी साधनों पर निर्भर रहना पड़ता है। दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में परिवहन की समुचित सुविधा नहीं है। राजधानी की सड़कों पर हर रोज 7 व्यक्ति दुर्घटना का शिकार होकर या तो अपनी जीवनलीला समाप्त करते हैं या जिन्दगी भर के लिए विकलांग हो जाते हैं। राजधानी में प्रतिदिन 4 बच्चों को अपहरण होता है। मीडिया सर्वे बताता है कि दिल्ली की 94 प्रतिशत महिलायें स्वयं को असुरक्षित महसूस करती हैं। यदि दिल्ली वल्र्डक्लास सिटी है तो यहां शिक्षा, स्वास्थ्य की बेसिक सुविधायें क्यों नहीं उपलब्ध हैं ? सरकारी अस्पताल बूचड़खाने बने हुये हैं। आंकड़े गवाह हैं कि पिछले 5 साल में सरकारी अस्पताल सफदरजंग और कलावती सरन में 8000 बच्चों की अकाल मृत्यु हुई है। पिछले दिनों सुश्रुत ट्रामा सेन्टर में 6 मरीज आक्सीजन की कमी से तड़प-तड़प कर क्यों मरे ? इसके बावजूद भी उसी आक्सीजन सप्लाई कम्पनी को आज तक सरकार ने आक्सीजन सप्लाई करने का ठेका दिल्ली के पांच सरकार अस्पतालों में दे रखा है। गोयल ने कहा कि लोकायुक्त दिल्ली जस्टिस मनमोहन सरीन ने दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष योगानंद शास्त्री पर गंभीर टिप्पणियां की हैं। सरकार को इसे गंभीरता से लेकर आवशयक विधिक कदम उठाने चाहिए ताकि लोगों का वि’वास कानून पर कायम रह सके।
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