मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने जिन दो बलात्कारियों के पैरोल की सिफारिश की, उनके कागजात भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल ने आज मीडिया के सामने जारी किए। गोयल ने बताया कि उनको ये कागजात चार दिन पहले मिले थे, जिस पर उन्हें वि’वास नहीं हुआ कि एक मुख्यमंत्री जो खुद महिला है, वे इस तरह दो बलात्कार के अभियुक्तों की भी सिफारिश कर सकती हैं। एक मामले में दुलीचंद, पुत्र कालीचरण को बलात्कार के मामले में धारा 376,365,366 के अन्तर्गत उम्रकैद की सजा दी गई। इस व्यक्ति ने अपने ही मकान मालिक की लड़की के साथ बलात्कार करने का जघन्य अपराध किया था, देखने की बात यह है कि जिला पुलिस ने इसकी पैरोल की मुखालफत की, फिर भी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इसकी पैरोल की सिफारिश कर दी। दूसरे मामले में हरप्रीत सिंह, पुत्र अमरीक सिंह को भी उम्रकैद की सजा दी गई धारा 394,376 के अन्तर्गत। इस मामले में भी पुलिस ने पैरोल की मुखाफलत की थी, पर मुख्यमंत्री ने इसकी भी पैरोल की सिफारिश कर दी । इसने भी महिला को अगवा कर उसके साथ लूटपाट, मारपीट और बलात्कार किया। यह दोनों लोग तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे थे। यह तो अच्छा हुआ कि उपराज्यपाल ने दोनों पैरोल रद्द कर दी। गोयल ने कहा कि एक तरफ दिल्ली को महिलाओं के लिए असुरक्षित बताती है और पुलिस को कटघरे में खड़ा करती है और दूसरी तरफ पुलिस पैरोल के लिए मना करती है, पर मुख्यमंत्री बलात्कारियों को पैरोल दिलाती है। मुख्यमंत्री इतनी दुस्साहसी हैं कि माडल जेसिका लाल की हत्या करने वाले उम्रकैद की सजा काट रहे मनु शर्मा की भी वे पैरोल दिलाती हैं। गोयल ने कहा कि मुख्यमंत्री जवाब दें कि एक तरफ वे महिला सशक्तिकरण की बात करती हैं उनकी सुरक्षा की बात करती हैं, महिला दिवस पर फीते काटती है और दूसरी तरफ महिलाओं की सुरक्षा के लिए कुछ न करके केवल बयान देती है। राजधानी में दामिनी बलात्कार के बाद 48 से ज्यादा बलात्कार के मामले दर्ज हो चुके हैं और हर दो घंटे में महिलाओं के साथ बलात्कार और छेड़छाड़ हो रही है। गोयल ने मांग की कि किसी भी बलात्कारी को जमानत या पैरोल नहीं मिलनी चाहिए। जब मुकदमा चले तो सीधे मजिस्ट्रेट के सामने बयान होना चाहिए ताकि बार-बार के बयान से महिला उत्पीड़न से बच सके। महिला कोर्ट अलग से हों और समयबद्ध सीमा में मुकदमा निपटाया जाना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी एवं अन्य कई महिला संगठनों ने आज महिला दिवस पर सम्बोधित करने आई मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को काले झंडे दिखाए। प्रदर्शन का नेतृत्व महिला मोर्चा की अध्यक्ष शिखा राय कर रही थी। शिखा राय ने कहा कि मुख्यमंत्री का चेहरा बेनकाब हो चुका है, वे ऊपर से तो महिलाओं की सुरक्षा की बात करती है, पर वे उनके सशक्तिकरण व सुरक्षा के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रही। लीक से हटकर विवाद पैदा करने का अहंकार उनमें है। ऐसी मुख्यमंत्री को अपनी पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है। |