राष्ट्रीय (28/02/2013)
पी चिदम्बरम के आंकड़ो से आम आदमी को मतलब नहीं
पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष प्रो प्रेम कुमार धूमल ने वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत आम बजट पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि पी चिदम्बरम के आंकड़ो से आम आदमी को मतलब नहीं है। उन्होनें कहा कि यह बजट हताश व निराश करने वाला व पूरी तरह से दिशाहीन हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष तीनों प्रसिद्ध अर्थशास्त्री होने के बावजूद देश का सकल घरेलू उत्पाद 8.9 प्रतिशत से कम होकर 7.6 प्रतिशत तक सिमट गया है और देश की अर्थव्यवस्था का कबाड़ा हो गया हैं। वर्तमान परिस्थितियां यह है की देश व देश का आम आदमी भारी निराशा के दौर से गुजर रहा है। आम आदमी के नाम पर सत्ता हथियाने वाली कांग्रेस सरकार ने इस बजट के माध्यम से आम आदमी का गला घोंटने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं। प्रो धूमल ने कहा कि प्रस्तुत बजट में आम आदमी के साथ क्रुर मजाक हुआ हैं। राहत के नाम पर दाएं हाथ से देकर बाएं हाथ छीनने का कार्य किया गया है। सर्विस टैक्स व एक्साईज डयूटी 2 फीसदी बढ़ाकर महंगाई ढेड़ गुना तक बढ़ जाएगी। इस बजट में ऐसी कोई घोषणा नहीं की है जिससे महंगाई की मार से पिस रही जनता को कोई राहत मिल सके। बल्कि आम आदमी को महंगाई तले दबोच लिया गया हैं। मंत्रीमण्डलीय समिति की सिफारिश के बावजूद आयकर छूट सीमा 3 लाख तक नहीं बढ़ाया जाना कर्मचारियों व मध्यम वर्ग के साथ अन्याय हैं। इस बजट में बेरोजगारों के साथ भी छलावा किया गया हैं। देश के वित्त मंत्री देश के सबसे महत्वपूर्ण वर्ग किसानों को शायद भूल ही गए हैं। आम बजट में महंगाई से निजात और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करने का कोई प्रावधान नहीं है। प्रो धूमल ने कहा कि हिमाचलवासियों के लिए आम बजट भी रेल बजट की तरह घोर निराशाजनक है। दो दिन पूर्व प्रस्तुत रेल बजट में हिमाचल को मात्र तीन सर्वेक्षणों का झुनझुना केन्द्र की सरकार ने पकड़ाया था। उन्होनें कहा कि इससे पूर्व भी रेल लाईनों को लेकर सात सर्वेक्षण प्रदेश में हो चुके हैं। उनकी रिपोर्ट पर अभी तक कोई कार्य क्यों नहीं हो रहा हैं ? आम बजट से इस बार हिमाचलवासियों को बहुत आशाएं थी क्योंकि यूपीए सरकार ने अपने पहले बजट में हिमाचल प्रदेश से विशेष औद्योगिक पैकेज छीना था। ऐसे में प्रदेशवासियों को यह विशवास था कि इस अंतिम बजट में प्रदेशवासियों को औद्योगिक पैकेज वर्ष 2020 तक मिलेगा। इसी तरह आर्थिक सहायता के नाम पर भी हिमाचल प्रदेश को कुछ न दिया जाना बहुत अन्याय हैं। आर्थिक सहायता व औद्योगिक पैकेज न दिया जाना केन्द्र के द्वारा हिमाचल के प्रति सौतेले व्यवहार को दर्शाता हैं। इस बजट से केन्द्र की यूपीए सरकार का गरीब व कमजोर वर्ग विरोधी व हिमाचल के प्रति भेदभाव व उपेक्षापूर्ण रवैया एक बार फिर उजागर हो गया है। |
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