राष्ट्रीय (24/02/2013) 
ऊंचे कुल क्या जनमिया, ‘जे करनी ऊंच न होय
मुजफ्फरनगर। ‘ऊंचे कुल क्या जनमिया, ‘जे करनी ऊंच न होय’ संत शिरोमणि रविदास ने यह सिद्ध कर दिया कि अध्यात्म का ज्ञान किसी भी जाति, वर्ण में उत्पन्न व्यक्ति को हो सकता और वह समाज से छोटे से छोटा समझे जाने वाले कर्म को करते हुए अध्यात्म की ऊंचाईयों को प्राप्त कर सकता है। संत रविदास ने अपने कर्म व जीवन से इसे सिद्ध किया। उक्त विचार बोरहन लाल ने संत रविदास जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर आयोजित भजन कीर्तन समारोह में प्रकट किये। उन्होंने कहा कि संत के विचारों को आत्मसात करके मानव मात्र की सेवा ही एकमात्र उपाय है।
मौहल्ला खादरवाला स्थित संत रविदास एवं शिव मंदिर परिसर में गुरू ग्रंथ साहिब में समाहित संत रविदास की अमर वाणी का पाठ गं्रथी हरजीत सिंह, गं्रथी शोभा सिंह एवं उमरजीत सिंह ने अपनी मधुर वाणी से किया। इस अवसर पर गणमान्य व्यक्तियों ने गुरू रविदास के जीवन पर प्रकाश डाला। अध्यक्षीय सम्बोधन में मास्टर राम सिंह ने उपस्थित श्रद्धालुआंे का भावपूर्ण स्वागत किया। गांधी कालौनी गुरूद्वारे के ग्रंथी शोभा सिंह ने कहा कि हमारा देश सदैव ही संतों के मार्गदर्शन में फलीभूत हुआ है। इतिहास गवाह है जब-जब भी विपत्ति आई है संतो ने अपने जीवन का बलिदान तक किया है। संतों की वाणी से ही देश व समाज में जाग्रति आई है। इसलिए हमें संतांे की वाणी से गुरू ग्रंथ साहब में से अनेकों भजन प्रस्तुत किये। समारोह में संजय सैनी, सीताराम, ओमप्रकाश, बिजेन्द्र कुमार, विजय कैमरिक, कुलदीप कुमार, रघुवीर, संदीप कुमार, मिन्टू, बाल मुकुन्द, जयपाल, बाला देवी, चन्द्रा, शरबती, सावित्री, रमेश ठेकेदार, श्यामलाल, सोनू, शिवराज आदि मौजूद रहे।
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