राष्ट्रीय (25/10/2012) 
बकरीद पर भी महंगाई का कहर
बकरीद पर भी इस बार महंगाई का कहर बरपा है, बकरे इतने महंगे मिल रहे हैं की लोग खरीदने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं, जामा मस्जिद की बकरा मण्डी में ग्राहकों की भीड़ नजर आ रही है, मगर इनमे खरीदार बहुत कम हैं, डीजल के दाम बढने का असर बकरों की कीमत पर हुआ है, इस बार बकरे दो से तीन गुना तक महंगे हैं, और इसके लोग सरकार को ही ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं, ..
अब्दुल जब्बार खान, ग्राहक, ......(हालात के हिसाब से बहुत महंगा बकरा है इस बार, महंगा होने की वजह भी सरकार है, ये लोग जहाँ से लाते हैं तर्क में भरकर अब इन्हें दुगना तिगुना किराया देना पड़ रहा है, ..)
साजिद, ग्राहक, ....(इस बार बकरा दस हजार से कम नही है, होने को पचास हजार का भी है, ..)
शुएब, ग्राहक,..... (बकरे इस बार पहले से काफी महंगे हैं, ..)
-- महंगाई की मार ऐसी पड़ी है कि आम खरीदार बकरों की कीमत पूछने तक ही सीमित रह गया है, ज्यादातर लोग सिर्फ रेट पूछकर ही लौट जा रहे हैं, इससे यहाँ दूर-दूर से आए व्यापारी भी परेशान हैं जो लाखों रूपए लगाकर यहाँ बकरे बेचने के लिए आए हैं,  
शाहिद हुसैन, बकरा व्यापारी,... (बकरे बिक रहे हैं मगर लोग सस्ता मांग रहे हैं, हम महंगा लेके आए, परेशानी उठा रहे हैं, चारा भी बीस रूपए किलो मिल रहा है, .. ग्राहकों की भीड़ है, मगर देखने वाले ज्यादा हैं, ...)
रईस अहमद, ग्राहक, ....(महंगाई इतनी है की गुज़ारा मुश्किल है, आदमी कैसे खरीदारी करे, क़ुरबानी तो करनी ही है, ..) 
यूँ तो खरीदने वाले लाखों के बकरे भी खरीद रहे हैं, ऐसे बकरे भी यहाँ काफी हैं जिन पर कुदरती तौर पर कुछ धार्मिक चिन्ह या अल्लाह का नाम लिखा नजर आ रहा है, इन बकरों कीमत लाखों में है, .. लेकिन जिन लोगों का बजट कम है वो अब बकरे की क़ुरबानी के बजाय बड़े जानवरों में हिस्सा लेना बेहतर समझ रहे हैं, 
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