केन्द्रीय इस्पात मंत्री बेनीप्रसाद वर्मा ने कहा है कि भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक है और जल्दी ही वह दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन जाएगा। विश्व इस्पात एसोसिएशन के 46वें वार्षिक सम्मेलन का आज यहां उद्घाटन करते हुए वर्मा ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में विश्व में कच्चे इस्पात का उत्पादन तेजी से बढ़ा है। 2001 में 851 मिलियन टन इस्पात का उत्पादन हुआ जो 2011 में बढ़कर 1,527 मिलियन टन हो गया। बेनीप्रसाद वर्मा ने कहा कि भारत की इस्पात क्षमता 2009 में 66 मिलियन टन थी जो 2012 में बढ़कर करीब 90 मिलियन टन हो गई। इस क्षमता में और इजाफा होगा क्योंकि सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों ने विस्तार और आधुनिकीकरण का काम हाथ में लिया है। अनुमानों के अनुसार देश की क्षमता 2020 तक करीब 200 मिलियन टन और बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार घरेलू और विदेशी इस्पात निर्माताओं को देश में निवेश का अच्छा माहौल प्रदान करके इसे और बढ़ाने का प्रयास कर रही है। क्षमताओं में बढ़ोतरी के साथ प्रति व्यक्ति इस्पात का उपभोग भी बढ़ रहा है, लेकिन यह अभी भी दुनिया के औसत से कम है। अनेक योजनाओं खासतौर से ग्रामीण इलाकों में इस्पात के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर इसमें सुधार करने के प्रयास किये जा रहे हैं। बेनीप्रसाद वर्मा ने कहा कि एक राष्ट्रीय इस्पात नीति तैयार की जा रही है जो भारत में इस्पात का उत्पादन और उपभोग बढ़ाने के लिए आवश्यक दूरदर्शिता और रूपरेखा प्रदान करेगी। इस सम्मेलन का आयोजन भारत में पहली बार किया गया। |