नई दिल्ली, 9 अक्तूबर। भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने कहा है कि भाजपा सत्ता में आने पर दिल्ली में बिजली के दाम कम करेगी। पार्टी ने बिजली के निजीकरण के दु”परिणामों के खिलाफ निजीकरण के दिन से ही आशंका जाहिर की थी कि षड्यंत्रकारी कांग्रेस सरकार निजीकरण की आड़ में आम जनता का शोषण करेगी। यह बात अब पूरी तरह खुलकर सामने आ गई जब दिल्ली सरकार, डीईआरसी के सदस्यों, मुख्यमंत्री और उनके अधिकारियों ने मिलकर डीईआरसी के तत्कालीन चेयरमैन ब्रजेन्द्र सिंह द्वारा दिल्ली में बिजली के दाम घटाने के आदेश नहीं लागू होने दिए। भाजपा इस के खिलाफ आपराधिक मुकद्दमा दर्ज कराएगी। भाजपा सरकार के हर जनविरोधी कदम का विरोध करती आई है और आगे भी करती रहेगी। बिजली के दाम घटने तक पार्टी का संघर्ष बराबर जारी रहेगा। यह जानकारी पत्रकारों को देते हुए गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार, दिल्ली की मुख्यमंत्री और डीईआरसी के वर्तमान लोग बिजली कम्पनियों से मिले हुए हैं। इसी कारण डीईआरसी का औचित्य ही समाप्त हो गया है। सरकार और डीईआरसी मिलकर दिल्ली की 2 करोड़ जनता की जेब बिजली बिलों के जरिए खाली करने पर जुटे हुए हैं। बिजली मुद्दों को लेकर भाजपा ने सड़क से लेकर विधानसभा और संसद तक खुलकर जनहित में लड़ाई लड़ी है। अब इस मुद्दे को लेकर ‘ब्लैकमेकिंग हो रही है। और भोलीभाली जनता पर एफआईआर हो रही है। इसका खामियाजा अंततः जनता ही भुगत रही है। भाजपा ने बिजली-पानी के निजीकरण, कमरतोड़ मंहगाई, एफडीआई, सरकार के भ्रष्टाचार , घोटाले,राष्ट्रमंडल खेलों के घोटाले, जमीन घोटाले, प्रोविजनल सर्टिफिकेट घोटाला,शिक्षा घोटाला, स्वास्थ्य घोटाला, तेल घोटाला, रसोई गैस, डीजल, पैट्रोल, सीएनजी के बढ़े दामों पर लगातार दिल्ली की जनता का साथ दिया है। अब कुछ लोग फौरी और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए भाजपा जैसी जनसेवी पार्टी पर आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा ने जनता के लिए क्या किया! जो लोग भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं वे बतायें कि उन्होंने लोकपाल बिल, एफडीआई, बिजली-पानी का निजीकरण के लिए अब तक क्या किया? मंहगाई, बिजली-पानी आदि मुद्दों को लेकर भाजपा ने दिल्ली की 20 लाख जनता से हस्ताक्षर करवा करके महामहिम राष्ट्रपति महोदया को ज्ञापन सौंपे। 500 करोड़ रूपए के बेलआउट पैकेज का विरोध किया। गृहमंत्री पी. चिदम्बरम को 9 जनवरी, 2012 को बेलआउट के विरोध में पत्र लिखा। 5 मई, 2010 को जब डीईआरसी के तत्कालीन अध्यक्ष ब्रजेन्द्र सिंह दिल्ली में बिजली के दाम 23 प्रतिशत घटाने का आदेश पारित करने वाले थे और उसके एक दिन पहले मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने, जोकि उस समय ऊर्जा मंत्री भी थीं, ने डीईआरसी को पत्र लिखकर बिजली के दाम घटाने से मना कर दिया था, तब भाजपा ने मुख्यमंत्री के इस “षडयंत्रकारी कार्य के खिलाफ आंदोलन किया। उस समय ये लोग कहां थे? डीईआरसी ने बिजली कम्पनियों के खातों की जांच में पाया था कि वे 3577 करोड़ रूपया जनता से अतिरिक्त वसूल चुकी हैं। इस कारण दिल्ली में बिजली के दाम 23 प्रतिशत घटाने का आदेश डीईआरसी ने जारी किया था। वह आदेश तो सरकार ने लागू नहीं होने दिया। तब तीनों बिजली कम्पनियां, डीईआरसी के सदस्यगणों, मुख्यमंत्री और सरकार के अधिकारियों ने षड्यंत्र से जनता को राहत नहीं मिलने दी। वर्ष 2008-09 में जो बिजली प्रति यूनिट 7.29 पैसे में मिल रही थी, वो 2009-10 में 5.36 रूपए प्रति यूनिट, 2010-11 में 3.49 रूपए प्रति यूनिट, 2011-12 में 3.27 रूपए प्रति यूनिट और 2012-2013 में 3.25 रूपए प्रति यूनिट पर आ रही थी। ऐसे में बिजली के दाम दोगुने से अधिक बढ़ाना सरकार और बिजली कम्पनियों का मिलाजुला षड्यंत्र है। बिजली के दाम घटने चाहिए न कि बढ़ने चाहिए। सारे तथ्यों सहित भाजपा ने 15 जून, 2010 को उपराज्यपाल तेजेन्द्र खन्ना को ज्ञापन दिया था कि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित एक साजिश के तहत दिल्ली में बिजली के दाम नहीं घटने दिए। यहां बताना उचित है कि मुख्यमंत्री और दिल्ली सरकार के बिजली के दाम न घटने देने का मामला उच्च न्यायालय में गया। यहां सभी पक्षों को सुनने के बाद माननीय न्यायालय ने अटार्नी जनरल की राय इस मुद्दे पर मांगी थी कि क्या डीईआरसी के किसी निर्णय को कोई भी राज्य सरकार रोकने का आदेश दे सकती है? उन्होंने लिखित कोर्ट को सूचित किया कि डीईआरसी एक अर्धन्यायिक संस्था है। उसे कोई भी राज्य सरकार किसी भी तरह का निर्देश या आदेश जारी नहीं कर सकती है। दिल्ली सरकार ने 23 प्रतिशत दाम घटाने पर रोक लगाने का गलत आदेश डीईआरसी को दिया था। इस पर अदालत ने सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई थी। |