एशियाई तट रक्षक एजेंसियों के प्रमुखों की 8वीं बैठक (एचसीजीएएम) आज नई दिल्ली में आयोजित हो रही है । दक्षिण एशियाई क्षेत्र में एचसीजीएएम की यह पहली बैठक है, जो भारतीय तट रक्षक और जापान के तट रक्षक की सह-मेजबानी से निपोन फाउंडेशन, जापान के तत्वावधान में आयोजित होगी। एचसीजीएएम एक शीर्ष स्तर मंच है, जो एशियाई क्षेत्र की सभी प्रमुख तट रक्षक एजेंसियों को एकत्र करने की सुविधा प्रदान करता है। इस पहल की शुरूआत 2004 में समुद्री क्षेत्र में डकैती से निपटने में सदस्य संगठनों के बीच सहयोग पर चर्चा को बढ़ाने के लिए की गई थी। हालांकि चर्चा का दायरा कानून प्रवर्तन, समुद्री सुरक्षा, आपदा की रोकथाम और राहत तथा क्षमता निर्माण तक विस्तारित किया जा चुका है। वर्तमान में 17 देशों के 21 सदस्य संगठन इस पहल के हिस्से हैं। एचसीजीएएम के बीच सहयोग की प्रक्रिया नवम्बर,1999 में भारतीय तट रक्षक (आईसीजी) द्वारा चोरी किये गए जहाज एम.वी. अलोन्ड्रा रैन्बो के पकड़े जाने पर जापान द्वारा शुरू की गई थी। उसके बाद समुद्री और सशस्त्र डकैती से निपटने के लिए एशिया तट रक्षक एजेंसियों के क्षेत्रीय वरिष्ठ विशेषज्ञों की बैठकों की श्रृंखला आयोजित की गई। इस प्रकार की चौथी बैठक फरवरी, 2004 में पट्टाया, थाईलैंड में आयोजित की गई थी, जिसमें की सिफारिश की गई थी की जून, 2004 में तट रक्षक एजेंसियों के प्रमुखों के बैठक आयोजित की जाए। तदनुसार एचसीजीएएम की पहली बैठक जून, 2004 में तोक्यो, जापान में आयोजित की गई। इस पहल में 17 देश और एक क्षेत्र शामिल हैं। इनमें बंगलादेश, ब्रुनेई, कंबोडिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, पाकिस्तान, फिलीपींस, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, वियतनाम और हांगकांग शामिल है। इसके अलावा इस बात पर भी सहमति हुई थी कि चर्चा का दायरा सिर्फ समुद्री डकैती के मामलों तक ही सीमित नहीं होगी, बल्कि तट रक्षकों से संबंधित सभी मामले शामिल होंगे। एचसीजीएएम हर वर्ष आयोजित की जाती है और इस प्रकार की सात बैठकें अब तक आयोजित की गई । पिछले सालों में ये तोक्यो, पुत्राजया (मलेशिया) सिंगापुर, मनीला, बाली, शंघाई और हनोई में आयोजित की गई। |