इंडियन पब्लिक रिलेशन सोयाइटी (पीआरएसआई) द्वारा 34वां अखिल भारतीय सम्मेलन-‘‘कॅम्युनिकेशन स्ट्रेटेजीज फार ट्रेवल एण्ड टूरिजम’’ पर पीआरएसआई के शिमला चैप्टर द्वारा 29 सितम्बर से 1 अक्तूबर, 2012 तक शिमला में आयोजित किया गया, निःसंदेह एक अनूठा सम्मेलन था। इस सम्मेलन में देश से ही नहीं, अपितु विदेशों से लोगों ने भाग लिया और अपने विचार भी रखें। शायद ही शिमला में इससे पहले इस तरह का जन सम्पर्क एवं अन्य कोई सम्मेलन हुआ होगा। इस सम्मेलन में जुड़े देश-विदेश के श्रेष्ठ पीआर प्रोफैशनल्स और विशेषज्ञों ने पर्यटन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विचारावेश सत्रों के माध्यम से जो बहुमूल्य सुझाव दिए, वे निश्चित तौर पर प्रदेश में पर्यटन उद्योग को नई दिशा देने में सहायक सिद्ध होंगे। हिमाचल प्रदेश के एतिहास में यह पहला मौका है, जब देश के विभिन्न भागों से आए विशेषज्ञों ने इस महत्वपूर्ण विषय पर मंथन किया और विचारों के प्रवाह से आर्थिकी के इस महत्वपूर्ण स्रोत को भुनाने के लिए नए आयाम प्रस्तुत किए। सम्मेलन में विचार विमर्श के बाद एक बात सामने आई है कि यद्यपि पर्यटन, विश्व भर में आर्थिकी का महत्वपूर्ण अंग बन गया है, परंतु पर्यटन स्थलों व पर्यटन सुविधाओं का संदेश जन-जन तक नहीं पहुंच रहा है। लोगों को सही जानकारी नहीं मिल रही है और यह बात भी उभर कर आई है कि गन्तव्य को ही नहीं बल्कि सुखद अनुभव को जन-जन तक पहुंचाना होगा। इस सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मारिशस के महामहिम उच्चायुक्त ए. जुगेशर ने भी इस विषय पर पर्यटन विकास की दिशा में माॅरिशस में किए जा रहे प्रयासों एवं पर्यटन विकास की महत्ता पर प्रकाश डाला। हिमाचल प्रदेश सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अजय मित्तल ने प्रदेश में पर्यटन विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों एवं पर्यटन विकास में संचारक की भूमिका पर बल दिया। इस तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान छह सत्र आयोजित किए किए, जिसमें देश-विदेश से आए विशेषज्ञों ने अनेक विचार सांझे किए। इस सम्मेलन में देश तथा विदेश से आए 200 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। एरे का इस अवसर पर संबोधन विचारणीय है, जिन्होंने कहा कि टैवल एण्ड टूरिजम का स्थानीय एवं राष्ट्रीय आर्थिकी पर गहरा प्रभाव है। विश्व भर की संस्थाएं अपनी छवि बनाने के लिए ट्रैवल एण्ड टूरिज+म का उपयोग कर रही है। टैवल एण्ड टूरिजम विश्व के बड़े आर्थिक क्षेत्रों में से एक है। मारिशस में पर्यटन की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि मारिशस अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पर्यटक स्थल है और देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन क्षेत्र का योगदान 8.4 प्रतिशत है। मारिशस में पर्यटन क्षेत्र के सतत् विकास के लिए राजनीतिक स्थिरता, सुरक्षित वातावरण, सुदृढ़ सामाजिक ताना-बाना तथा आतिथ्य प्रेमी लोग उत्तरदायी हैं। उन्होंने कहा कि भारत में पर्यटन मुख्य सेवा उद्योग बनकर उभरा है और मारिशस भारत के साथ पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहा है। पीआरएसआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. अजीत पाठक ने पीआर व्यवसायियों की उन्होंने संस्थाओं एवं समुदायों के मध्य समन्वय स्थापित करने के साथ-साथ व्यवसाय में नैतिक मूल्य अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पीआरएसआई ने व्यवसाय को अनैतिक प्रचलन से मुक्त करने के लिए ग्लोबल एथिकल प्रोटोकाॅल अपनाया है। उन्होंने कहा कि जन सम्पर्क का कार्य संस्थान की छवि बनाना है और जन संपर्क व्यवसायियों को अनैतिक प्रचलन से दूर रहना चाहिए क्योंकि इससे संस्थान को नुकसान पहुंच सकता है। पीआरएसआई के पूर्व अध्यक्ष तथा पब्लिक रिलेशनस वाईस पत्रिका के संपादक डाॅ. सी.वी. नरसिम्हा रेड्डी ने कहा कि प्रभावी जन संपर्क के चलते ही पर्यटन नीति सफल होती है। आस्ट्रेलिया से आए एशिया पैसिफिक पब्लिक रिलेशनस जरनल एंड स्कूल आफ काम्युनिकेशन और क्रिएटिव आटर्स, डेकिन यूनिवर्सिटी आफ आस्ट्रेलिया के प्रतिनिधि एम.जे.ए. शिहान ने विश्व स्तर पर पर्यटन की दृष्टि से अग्रणी रहने में महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया। उन्होंने भाषायी दूरी को कम करने के लिए जन सम्पर्क व्यवसायियों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। जबकि राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान, नई दिल्ली में फैशन काम्युनिकेशन डिपार्टमेंट की अध्यक्षा प्रो. विभावरी कुमार ने फैशन पर्यटन के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज पर्यटन की दृष्टि से विश्व के ख्याति प्राप्त देशों में फैशन पर्यटन तेजी से उभरा है और पर्यटक इस ओर आकर्षित हुए हैं। |