राज्यपाल की सचिव अनीता तेगटा ने कहा कि आज के परिपेक्ष्य में आपदा प्रबन्धन विकास और मानवीय जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण एवं संवदेनशील मुद्दा है, जिसे किसी भी सूरत में नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। अनिता तेगटा आज यहां रेडक्रॅास सभागार में आपदा प्रबन्धन पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता कर रही थीं। राज्य रेडक्राॅस के सौजन्य से आयोजित इस कार्यशाला में प्रदेश रेडक्राॅस अस्पताल कल्याण शाखा के सदस्यों, सेंट बीडज् कालेज के अध्यापकों एवं विद्यार्थियों व अन्य लोगों ने आपदा के विभिन्न पहलुओं और उससे बचाव के विभिन्न उपायों के बारे में जानकारी हासिल की। अनिता तेगटा ने कहा कि आज के युग में समाज के सभी लोगों को आपदा प्रबन्धन की जानकारी होना आवश्यक है और ऐसा जागरूकता, शिक्षा और प्रशिक्षण से ही संभव हो सकता है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्तर पर इस सम्बन्ध में अनेक प्रयास किए जा रहे है। जिला व खण्ड स्तर पर आपदा प्रबन्धन समितियां बनाई गई हैं और आम लोगों को आपदा के समय किए जाने वाले विभिन्न उपायों की जानकारी प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए निःशुल्क 108 दूरभाष सेवा आरम्भ की है जिस के तहत 35 मिनट के भीतर एंम्बुलेंस सेवा फी्र उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि रेडक्राॅस सोसायटी मानवता की सेवा में निरन्तर प्रयासरत है और मानवीय सेवा से जुड़े इस तरह के कार्यक्रम निरन्तर आयोजित करती है। इसके लिए उन्होंने रेडक्राॅस सोसाईटी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने स्कूल और कालेज स्तर तक रेडक्राॅस की गतिविधियों को जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज शिमला के रक्त ट्रांसफ्यूजन विभाग के अध्यक्ष एवं प्राध्यापक डा. मदन कोशिक ने आपदा के समय रक्तदान और रक्त परिवर्तन के लिए एहतियाति उपायों की विस्तृत जानकारी दी। विज्ञान एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एस.एस. रंधावा ने आपदा प्रबन्धन पर विस्तृत प्रस्तुति देते हुए बताया कि भूकम्प के समय घर के कोने में खड़ा होना या टेबल के नीचे बैठना उचित है क्योंकि इन स्थानों पर भूकम्प से गिरने वाली दीवारों का वेग कम होता है। इस अवसर पर प्रदेश रेडक्राॅस सोसायटी के सचिव ओ.पी. भाटिया ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते कहा कि प्रथम चरण में आपदा प्रबन्धन के लिए शिमला और मण्डी का चयन किया गया है। |