कुछ समाचार पत्रों में इस आशय का समाचार प्रकाशित हुआ है कि प्रदेश में तीन लाख 20 हजार फर्जी राशनकार्ड बनाए गए हैं, जिसमें करोड़ों रुपये का गबन हुआ है और फर्जी राशनकार्ड घोटाले की सीबीआई जांच की जानी चाहिए। यह समाचार पूरी तरह गलत, गुमराह करने वाला एवं मनगढ़ंत है। प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग फर्जी राशनकार्डों के प्रति पूरी तरह सजग है तथा समय-समय पर इस बारे में शिकायत मिलने पर छानबीन करने के साथ-साथ स्वयं भी जांच करता है। जाली राशनकार्ड पाए जाने पर इसे तुरंत रद्द कर दिया जाता है। यहां तक की विभाग द्वारा ऐसे मामलों में एफआईआर भी दर्ज करवाई गई है। उन्होंने कहा कि गत चार वर्षों के दौरान 12,857 एपीएल राशनकार्ड फर्जी पाए गए, जिन्हें तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया, जहां तक, बीपीएल व अन्त्योदय अन्न योजना परिवारों से सम्बन्धित मामलों का प्रश्न हैं, उनके लिए केन्द्र सरकार ने राज्य के लिए बीपीएल के लिए 316900 तथा अन्त्योदय अन्न योजना परिवारों के लिए 197100 का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके मुकाबले प्रदेश में 3,00818 बीपीएल और 195857 अन्त्योदय अन्न योजना के परिवारों को राशन कार्ड जारी किए हैं। विभाग द्वारा की गई जांच में कोई भी बीपीएल एवं अन्त्योदय अन्न योजना परिवार का फर्जी राशन कार्ड नहीं पाया गया। प्रवक्ता ने कहा कि दाल आबंटन में प्रत्येक माह एक करोड़ रुपये के गबन के सम्बन्ध में प्रकाशित समाचार भी पूरी तरह गलत है। विभाग को जैसे ही दालों की खरीद के लिए निविदा प्रक्रिया में कुछ कमी का पता चला तो निविदा को तुरंत रद्द किया गया और नई निविदा आमंत्रित की गई। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में कथित तौर पर शामिल दो अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई तथा इसकी जांच प्रदेश के सतर्कता विभाग को सौंप दी गई। प्रवक्ता ने कहा कि भारत सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कार्यान्वयन में हिमाचल प्रदेश को देश के सर्वश्रेष्ठ राज्यों में एक आंका है। उन्होंने कहा कि यदि कुछ गलत होता तो भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कार्यान्वयन में देश में सर्वश्रेष्ठ राज्यों में क्यों आंका जाता। |