राष्ट्रीय (25/09/2012) 
उचित बजट प्रावधानों के बाद ही किए जा रहे शिलान्यास--हिमाचल प्रदेश

केन्द्रीय योजनाओं की धनराशि का राज्य कर रहा है समुचित उपयोग............

कुछ समाचार पत्रों में आज यह समाचार प्रकाशित हुए हैं कि राज्य सरकार बजट प्रावधानों के बिना ही योजनाएं आरम्भ कर रही है, जो पूर्णतः भ्रामक और तथ्यहीन हंै।

प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां कहा कि यह सही नहीं है कि राज्य की राजस्व प्राप्तियां वर्ष 2011-12 में जीएसडीपी की 22 प्रतिशत हो गई जो 2006-07 में जीएसडीपी की 27 प्रतिशत थी। वास्तव में 2006-07 में जीएसडीपी के कुल राजस्व प्राप्तियों की दर 25.87 प्रतिशत थी और 2011-12 में 24.12 प्रतिशत है। इस गिरावट की वजह 13वें वित्त आयोग द्वारा राज्य की प्रतिबद्ध देनदारियों का गलत मूल्यांकन रहा है। 13वें वित्तायोग ने हिमाचल प्रदेश के मामले में 12वें वित्तायोग द्वारा प्रस्तावित डिवोलयूशन में केवल 50 प्रतिशत वृद्धि की सिफारिश की, जबकि अन्य राज्यों के मामले में सामान्य वृद्धि 126 प्रतिशत रही। हिमाचल के लिए भी अगर इसी अनुपात में वित्तीय प्रावधान किया जाता तो राज्य को वर्ष 2010-14 तक पांच वर्ष की अवधि में 10725 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ मिलता। 12वें वित्तायोग ने 10202 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे अनुदान की सिफारिश की थी, जबकि 13वें वित्तायोग ने केवल 7889 करोड़ रुपये की सिफारिश की, जिसके 2313 करोड़ रुपये कम मिले। राज्य सरकार ने इस अन्याय के खिलाफ कई बार भारत सरकार से मामला उठाया लेकिन अभी तक कोई विशेष सहायता प्रदान नहीं की गई है। परिणामस्वरूप 13वें वित्तायोग के तीन वर्ष की अवधि में केन्द्रीय अनुदान में कुल राजस्व प्राप्तियों में 48.04 प्रतिशत से 42.28 प्रतिशत की गिरावट आई है।

उन्होंने कहा कि 13वें वित्त आयोग की प्रतिकूल सिफारिशों के बावजूद प्रदेश ने कुशल वित्तीय प्रबन्धन के कारण एफआरबीएम लक्ष्यों को हासिल किया है, जिसके परिणामस्वरूप 13वें वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के अन्तर्गत राज्य के लिए निर्धारित अनुदानों को प्राप्त किया।

प्रवक्ता ने कहा कि यह कहना भी सही नही हैं कि राज्य सरकार ने अपने संसाधनों में सुधार के लिए कदम नहीं उठाए। राज्य के कर राजस्व में वर्ष 2006-07 से 2011-12 तक 248 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस प्रकार यह 1656 करोड़ से बढ़कर 2011-12 में 4108 करोड़ रुपये हो गया है। 13वें वित्त आयोग ने जीएसडीपी दर में कर के लिए 2014-15 में 6.75 प्रतिशत का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसे राज्य सरकार ने 2011-12 में ही प्राप्त कर लिया है।

उन्होंने कहा कि 2006-07 में ब्याज अदायगी/राजस्व प्राप्ति की दर 21.3 प्रतिशत थी, जो 2011-12 में घटकर 14.36 प्रतिशत रह गई। इससे साफ होता है कि राज्य ने ऋण घटाने और राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं। राज्य की जीएसडीपी दर में ऋण सर्विसिंग भी 2011-12 में 5 प्रतिशत तक आ गई, जो 2007-08 में 8 प्रतिशत थी।


इससे भी स्पष्ट होता है कि प्रदेश सरकार ऋण सर्विसिंग की आवश्यकताओं से निपटने में सक्षम है।
प्रदेश सरकार ने केन्द्र द्वारा निर्धारित ऋण सीमा और एफआरबीएम अधिनियम के अनुरूप ऋण लिए हैं, जिसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक व अन्य अनुमोदित स्रोतों से भी सम्बन्धित स्वीकृतियां प्राप्त की हैं। 2006-07 में जीएसडीपी दर में ऋण 55.4 प्रतिशत के आस-पास थी, जो 2011-12 में 41.5 प्रतिशत हो गई है।

प्रवक्ता ने कहा कि पिछले चार वर्षों में राज्य की सामान्य जीएसडीपी वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत और वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रही है, जो 2011-12 में राष्ट्रीय वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत से अधिक है। इसके कारण राज्य की प्रति व्यक्ति आय 2011-12 में 73608 रुपये हो गई, जबकि 2007-08 में यह केवल 43966 रुपये थी। यह राष्ट्रीय स्तर से 20 प्रतिशत अधिक है।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार देश भर में केन्द्र प्रायोजित परियोजनाएं लागू करती हैं और योजना में निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप राज्यों को धनराशि प्रदान की जाती है। लेकिन इन योजनाओं के अन्तर्गत विशेष श्रेणी वाले राज्यों को वित्तीय सहायता का प्रावधान 90ः10 के अनुपात में किया जाता है। हिमाचल प्रदेश के मामले में इन योजनाओं के अन्तर्गत विशेष श्रेणी प्राप्त राज्यों के अनुरूप आर्थिक सहायता नहीं दी जा रही है, जिसके कारण राज्य को इन योजनाओं में अधिक योगदान देना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह कहना भी गलत है कि राज्य सरकार केन्द्रीय योजनाओं में पूरा योगदान नहीं दे रहा है। प्रदेश को केन्द्र सरकार ने 20 सूत्री कार्यक्रम सहित कई केन्द्रीय योजनाओं के कार्यान्वयन में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए सराहा है। प्रदेश ने केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के अन्तर्गत मिली धनराशि को खर्च करने के साथ-साथ अतिरिक्त राशि भी उपलब्ध करवाई है।

प्रवक्ता ने कहा कि यह कहना भी निराधार है कि राज्य सरकार बजट प्रावधानों के बिना योजनाएं आरम्भ कर रही है। प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई सभी योजनाओं को पूरी तरह कार्यान्वित किया गया है और हाल ही में आरम्भ की गई नई योजनाओं के लिए भी बजट का समुचित प्रावधान किया गया है। पिछले साढ़े चार वर्षों में प्रदेश सरकार की उपलब्धियां इसका प्रमाण हैं।

उन्होंने कहा कि 3300 करोड़ रुपये के योजना परिव्यय के मुकाबले वर्ष 2011-12 की वार्षिक योजना में राज्य सरकार को केवल 650 करोड़ रुपये की विशेष केन्द्रीय सहायता मिली है। इसके अलावा अन्य परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता केवल 501.64 करोड़ रुपये मिली है। इस प्रकार राज्य की कुल योजना परिव्यय में विशेष केन्द्रीय सहायता और विभिन्न केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के अन्तर्गत राज्य को कुल 1151.64 करोड़ रुपये की केन्द्रीय सहायता मिली है, जो केवल 34.89 प्रतिशत है।

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