सेंट्रल विजिलेंस कमिशन (सीवीसी) ने सीबीआई से कहा है कि वह 1993 से किए गए कोल ब्लॉक आवंटन की जांच करे। इस तरह से अब पिछली सरकारों के कार्यकाल में हुए आवंटन की भी जांच होगी, जिसमें एनडीए सरकार का कार्यकाल भी शामिल है। गौरतलब है कि नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च, 2011 को कोयले की कीमत के हिसाब से कोल ब्लॉक अलॉटमेंट में गड़बड़ी की वजह से सरकार को करारी चपत लगी है। कैग के मुताबिक सरकार को कुल 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया था कि साल 2004 से 2009 के दौरान करीब 44 अरब टन कोयला बहुत कम दामों पर दिया गया। अगर इस आधार पर हिसाब लगाया जाए तो सरकार को कुल 10 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। कैग कि रिपोर्ट आने के बाद से विपक्ष ने भी इसे बड़ा मुद्दा बनाया। प्रधानमंत्री के इस्तीफे और मामले की जांच कराने को लेकर पूरा मॉनसून सत्रा हंगामे की भेंट चढ़ गया। उधर सरकार ने इस मामले में जीरो लॉस थिअरी दी, लेकिन उसे इस थिअरी पर भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। लेकिन अब सीवीसी ने 1993 से कोल ब्लॉक आवंटन की जांच कराने की मांग की है। इस तरह से अब पिछली 3 सरकारों के कार्यकाल में हुए आवंटन की जांच होगी, जिसमें एनडीए सरकार का कार्यकाल भी शामिल है। इससे पहले शनिवार को सीबीआई ने कोल ब्लॉक आवंटन से जुड़े मामले में 2 प्राइवेट कंपनियों और उनके डायरेक्टर्स समेत अन्य लोगों के खिलाफ 2 नए केस दर्ज किए थे। इस मामले में सीबीआई ने देश के सात शहरों में छापेमारी भी की थी। सीबीआई ने विकास मेटल्स, पावर्स लिमिटेड और ग्रेस इंडस्ट्रीज पर गलत तरीके अपनाकर कोल ब्लॉक हासिल करने के आरोप लगाए हैं। आपको बता दें कि इस साल जून में सीवीसी के कहने पर ही सीबीआई ने साल 2006 से 2009 के बीच में हुई कोल ब्लॉक आवंटन में हुई गड़बड़ियों की शुरुआत जांच शुरू की थी। |