उप राष्ट्रपति एम. हामिद अंसारी ने कहा है कि लोगों के कल्žयाण के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति अधिक समन्वित दृष्टिकोण अपनाने तžथा जोरदार क्षमताओं की आवश्यकता है। आज श्रीनगर (जम्मू और कश्मीर) के कश्मीर विश्वविद्यालय में आठवीं जम्मू कश्मीर विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि यह सराहनीय है कि इस प्रकार का राज्य स्तरीय सम्मेलन 2005 से नियमित रूप से आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन का विषय है - विज्ञान, प्रौद्योगिकी और क्षेत्रीय विकास : अवसर और चुनौतियां। उन्होंने कहा कि यह विषय स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक संदर्भ में हमारे समय के साथ प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ भारत का संपर्क स्žवाधीनता के प्रारंभिक दिनों में शुरू हो गया था। इसकी आधारशिलाएं 1958 के विज्ञान नीति प्रस्ताव और 1963 के प्रौद्योगिकी-गत नीति वक्तव्य से रखी गई थीं। पहले प्रस्ताव का उद्देश्य विज्ञान और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना तथा अनुसंधान वैज्ञानिकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना था, जबžकि दूसरे का उद्देश्य आत्मनिर्भरता और स्वदेशी संसाधनों का अधिकाधिक प्रयोग करना था। इन उपायों और अन्य प्रयासों के परिणामस्वरूप विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उच्चतर शिक्षा, औद्योगिकी अनुसंधान प्रयोगशालाओं की स्थापना और आणविक ऊर्जा, अंतरिक्ष, कृषि, दवाई और भेषज जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर राज्य के सामने विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा और अनुसंधान बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से अधिकांश भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं को अपना कर हल किया जा सकता है। इसी प्रकार अनुसंधान में रूचि को प्रोत्साहित करके स्नातकोत्तर फैलोशिप का लाभ उठाया जा सकता है। इसके अलावा, इस क्षेत्र के युवाओं में वैज्ञानिक रुचि को प्रोत्साहित करने के लिए समय-समय पर जम्मू-कश्मीर राज्य में विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए घोषित विशेष पैकेजों को शब्दशा कार्यान्वयन किया जा सकता है। |