राष्ट्रीय (12/09/2012) 
कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए पर्याप्त जल की आपूर्ति जरूरी
केन्द्रीय कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री  शरद पवार ने कहा है कि जब तक किसानों को समय पर और पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध कराने की चुनौती से नहीं निपटा जाता, तब तक कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि की उम्मीद नहीं की जा सकती। आज नई दिल्ली में सूक्ष्म सिंचाई पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री पवार ने कहा कि हाल में सूखे से प्रभावित राज्यों-महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, पंजाब और हरियाणा का दौरा करने के बाद उन्होंने महसूस किया है कि उपलब्ध पानी की हर बूंद को बचाने के लिए तुरंत योजनाएं और मिशन बनाने की आवश्यकता है। 
श्री पवार ने कहा कि कुछ दशक पहले तक हमारी कृषि उत्पादन नीति का मुख्य उद्देश्य अनाज उत्पादन में देश को आत्म निर्भर बनाना था। वह लक्ष्य आशा से अधिक प्राप्त कर लिया गया है और गेंहू, चावल, कपास, गन्žना और फलों आदि के उत्पादन में देश को काफी सफलता मिली है। इस वर्ष देश से कृषि उपज का निर्यात 37 अरब अमरीकी डॉलर के रिकार्ड स्तर तक पहुंच गया है, जिसमें विभिन्न प्रकार की पैदावारें शामिल हैं, लेकिन इस प्रक्रिया में हमारी जल उपलब्धता का स्तर चिंताजनक सीमा तक काफी नीचे पहुंच गया है, जिसका असर भविष्य में हमारे कृषि उत्पादनों पर पड़ सकता है। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और मानसून के बदलते स्वरूप की भी समस्याएं है, जो हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि हम पानी की हर बूंद का किस तरह से बेहतर इस्žतेमाल करें। 

कृषि मंत्री ने कहा कि सौभाग्यवश सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को सफल बनाने के लिए जो बातें आवश्यक हैं, वे हमारे पास उपलब्ध हैं। ये हैं – आवश्यक प्रौद्योगिकी, संस्थागत मजबूती और किसानों के सहयोग के बारे में रजामंदी। आवश्यकता इस बात की है कि हम सभी पहलुओं का ठीक तरह से लाभ उठाएं। जहां तक प्रौद्योगिकी की बात है, अनुसंधान और विकास के परिणामस्वरूप भारतीय कंपनियों ने देश में ही ऐसी तकनीकों का विकास कर लिया है, जिनकी सहायता से प्रति हेक्टेयर लागत को कम किया जा सकता है। देश में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के लिए भारतीय कंपनियां न केवल देश के किसानों के लिए, बल्कि विदेशों को भी अपने उत्पाद और सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में इनके लिए घरेलू बाजार 3500 करोड़ रुपये वार्षिक तक पहुंच गया है और लगातार बढ़ रहा है। हमारी कंपनियों को अफ्रीका और पश्चिम एशिया में अनुबंध प्राप्त करने में सफलताएं मिली है।

श्री पवार ने कहा कि जहां तक संस्थागत मजबूती की बात है, 2010-11 में केन्द्र प्रायोजित योजना राष्ट्रीय सूक्ष्म सिंचाई मिशन की शुरूआत के बाद स्थिति काफी अनुकूल हुई है। राज्य और जिला सूक्ष्म और सिंचाई समितियां बनाई गई हैं और जिला पंचायतों से भी सहयोग लिया जा रहा है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन की ओर से भी सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। तीसरा पहलु किसानों के सहयोग का है और किसान नई तकनीकें अपनाने के लिए तैयार हैं। लगभग सभी मंत्रियों ने सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत अपने राज्य के लिए आबंटन बढ़ाने का आग्रह किया है। किसान अब केवल बागवानी के लिए ही नहीं, अन्य फसलों में भी सूक्ष्म सिंचाई की प्रणाली शुरू करना चाहते हैं। प्रयोगों से पता चला है कि सूक्ष्žम सिंचाई से न केवल उत्žपादन बढ़ता है, बल्कि पानी और खाद पर भी कम खर्च होता है, जिससे किसानों का मुनाफा बढ़ता है। यह स्थिति लघु सिंचाई उद्योगों के लिए बहुत अच्žछा अवसर है कि वे कमान क्षेत्रों में सूक्ष्म सिंचाई के लिए प्रस्तावित सरकारी-निजी क्षेत्र की व्यवस्था में सक्रिय रूप से भाग लेने के साथ-साथ किसानों को बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराएं। 
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