राज्य सरकार अगले वित्त वर्ष 2013-14 के लिए ग्रीन बजट का प्रस्ताव करेगी। इसमें योजना एवं बजट प्रक्रिया में ‘ग्रीन अकाऊंटिंग’ अपनाने के लिए साधन और पद्धतियां विकसित करने के प्रावधान किए जाएंगे। मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने यह जानकारी आज यहां टीईआरआई के महानिदेशक नोबल पुरस्कार विजेता एवं पदम विभूषण डाॅ. आर.के. पचैरी द्वारा ‘द रियल एक्शन-ग्रीन ग्रोथ डिवेलपमेंट स्टोरी आॅफ हिमाचल प्रदेश’ नामक पुस्तक के विमोचन अवसर पर दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार आने वाले वित्त वर्ष के बजट में पर्यावरण कीमत को अभिव्यक्त करेगी। इसके लिए प्रदेश के लिए स्वीकृत विश्व बैंक परियोजना के अन्तर्गत तकनीकी सहायता प्राप्त की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने यह नीतिगत निर्णय लिया है कि प्रदेश में निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजनाओं से अर्जित वार्षिक राजस्व का एक प्रतिशत चिन्हित किया जाए, जोकि शायद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की पहली नीति है। इस प्रकार से एकत्रित राजस्व को सभी परियोजना प्रभावित परिवारों को वार्षिक भत्ते के रूप में दिया जाएगा और उनके बैंक खातों में जमा करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के वार्षिक विद्युत बिक्री राजस्व का 85 प्रतिशत परियोजना प्रभावित परिवारों को बराबर रूप से बांटा जाएगा जबकि बीपीएल परिवारों को शेष 15 प्रतिशत का अतिरिक्त लाभ भी मिलेगा। प्रदेश सरकार ने नदी बेसिन के आधार पर एकीकृत जलागत क्षेत्र उपचार योजना तैयार की है ताकि पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों को प्रभावी तरीके से कार्यान्वित किया जा सके। उन्होंने कहा कि पर्यावरण मास्टर प्लान तैयार कर प्रदेश सरकार ने एक नई शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जैविक खेती को विशेष बढ़ावा दिया जा रहा है और इसके लिए जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी द्वारा 321 करोड़ रुपये की परियोजना का वित्तपोषण किया जा रहा है। प्रदेश में अभी तक 4.25 लाख किसानों ने केंचुआ खाद इकाइयां स्थापित करने के लिए पंजीकरण करवाया है। प्रो. धूमल ने कहा कि प्रदेश को विश्व बैंक की सबसे बड़ी कार्बन क्रेडिट परियोजना प्राप्त करने में सफलता हासिल हुई है। इस परियोजना के अन्तर्गत 4000 हैक्टेयर भूमि का उपचार किया जाएगा। प्रदेश में पारम्परिक इंधन के प्रयोग को निरूत्साहित किा जा रहा है, क्योंकि इससे ग्रीन हाउस गैसों का अधिक उत्सर्जन होता है। उन्होंने ट्रांस हिमालयन विकास प्राधिकरण के गठन पर बल दिया ताकि हिमालययी राज्यों की विभिन्न विकास आवश्यकताओं को देखते हुए उनके हित सुरक्षित रखे जा सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पहाड़ी राज्यों के पर्यावरण विकास के लिए आदर्श नीति तैयार करेगी। प्रदेश में मौसम बदलाव के संबंध में राज्य स्तरीय गवर्निंग तथा अधिशासी काउंसिल गठित की गई है। उन्होंने परमाणु ऊर्जा का पक्ष लेते हुए ऊर्जा के संबंध में राष्ट्रीय नीति बनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्कूली बच्चों को नौ सूत्रीय पर्यावरण संहिता की शपथ दिलाई जा रही है ताकि वे पर्यावरण विषयों के मामले में जागरूक बन सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति के साथ यदि मित्रवत व्यवहार किया जाए तो वह मार्गदर्शक, अभिभावक, मित्र और दार्शनिक के रूप में सहायता करती है और यदि प्रकृति को नुकसान पहुंचाया जाए तो इसके परिणाम भयावह हो सकते हैं। यह सिद्ध हो चुका है कि प्रकृति के सानिध्य में ही मानव अपना श्रेष्ठ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयास सफल रहे हैं और इन सभी प्रयासों में आम आदमी की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। मुख्यमंत्री की उपस्थिति में इस अवसर पर शिमला में टी.ई.आर.आई. की राज्य परिषद स्थापित करने के संबंध में हिमाचल प्रदेश सरकार और टीईआरआई के मध्य एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। समझौता ज्ञापन पर टीईआरआई की ओर से डाॅ. आर.के. पचैरी तथा हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से मुख्य सचिव श्री एस. राॅय ने हस्ताक्षर किए। डाॅ. आर.के. पचैरी ने प्रो. धूमल के दूरदर्शी नेतृत्व में गत वर्षों में पर्यावरण के क्षेत्र में प्रदेश सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इनसे हिमाचल प्रदेश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आदर्श बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि शिमला में प्रस्तावित टीईआरआई केंद्र बागवानी, परिवहन, शीत भण्डारण और अधोसंरचना क्षेत्रों में पर्यावरण मित्र माडल सुझाएगा, जो इन क्षेत्रों के विकास में सहायक होंगे। उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवनशैली के कारण पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। विश्व स्तर पर ऊर्जा की मांग बड़ती जा रही है, जो पर्यावरण संरक्षण पर बाधक है। उन्होंने कहा कि वैश्विक तापमान में तेजी से वृद्धि हो रही है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हरित वृद्धि की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने लोगों को आगाह किया कि आने वाले वर्षों में तापमान में वृद्धि होगी। उन्होंने राज्य में टीईआरआई राज्य परिषद गठित करने के लिए भूमि उपलब्ध करवाने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। डाॅ. पचैरी ने इस अवसर पर श्रोताओं के प्रश्नां के उत्तर भी दिए। मुख्य सचिव एस. राॅय ने मुख्यमंत्री तथा डाॅ. आर.के पचैरी का स्वागत करते हुए कहा कि टीईआरआई के साथ हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन से ऊर्जा दक्षता, पर्यावरण संरक्षण, भू-विज्ञान एवं मौसम में बदलाव, सतत विकास, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण, ज्ञान प्रबंधन, सतत परिवेश, हरित भवन, जल स्रोत, हरित वृद्धि विकास, जैव विविधता और वन, कृषि तथा बागवानी जैसे जैविक संसाधनों के क्षेत्रों में सहयोग को बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र की स्थापना के लिए शिमला जिला के चमयाणा गांव में 30 बीघा उपलब्ध करवा दी गई है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में समावेशी सतत वृद्धि को प्राप्त करने के ग्रीन ग्रोथ एजेंडा के लिए हिमाचल प्रदेश को विश्व बैंक द्वारा 200 मीलियन यूएस डालर का ऋण स्वीकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण एवं कार्बन न्यूट्रैलिटी के लिए चलाए जा रहे सामुदायिक आधारित आकलन, जागरूकता, समर्थन तथा कार्यान्वयन कार्यक्रम के तहत 1000 ग्राम पंचायतों और 57 शहरी स्थानीय निकायों को लक्षित किया गया है, जिसमें से 400 पंचायतों का कार्बन फुट प्रिंट के लिए आकलन कर लिया गया है। इस वर्ष 700 पंचायतों को इसके दायरे में लाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश सरकार ने मौसम में बदलाव पर कार्य योजना का मसौदा तैयार किया है, जिसे शीघ्र ही स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री सरवीन चैधरी, विधायक एवं राज्य भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती, नगर निगम शिमला के महापौर संजय चैहान, उपमहापौर टिकेंद्र पंवार, कृषि विपणन बोर्ड के अध्यक्ष कृपाल परमार, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.डी.एन. बाजपेयी, डाॅ. वाई.एस. परमार वानीकि एवं बागवानी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.के. धीमान, फूलफैड के अध्यक्ष त्रिलोक कपूर, हिमुडा के उपाध्यक्ष गणेश दत्त, अतिरिक्त मुख्य सचिव, मुख्य सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष तथा विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि कार्यक्रम में उपस्थित थे।
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