नई दिल्ली 1 जून। बहुमत साबित करने में असफल रहने के बाद शिबु सोरेने के इस्तीफा देते ही झारखंड में राष्ट्रपति शासन के आसार बनने लगे हैं। करीब एक महीने से ज्यादा समय तक चले इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन की संभावनाएं पुरजोर हो गई है। पहले उम्मीद की जा रही थी कि शिबु सोरेन की अल्पमत में आई सरकार को कांग्रेस से जीवनदान मिल जाएगा। लेकिन कांग्रेस ने साफ कर दिया कि वह झारखंड में सरकार नहीं बनाएगी। कांग्रेस के इनकार करने के बाद झारखड के राजनीतिक घटनाक्रम पर केन्द्रीय स्तर पर मंथन जारी है। केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में झारखंड में राष्ट्रपति शाासन लगाये जाने की मंजूरी दे दी गई। क्योंकि फिलहाल कोई भी दल के पास झारखंड में सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं है। झारखंड में राष्ट्रपति शाासन लगने के बाद मध्याविधि चुनाव के आसार भी बनने लगे हैं। राज्य की मौजूदा हालात पर झारखंड के राज्यपाल ने केन्द्र को अवगत करा दिया है। झारखंड के हालात पर केबिनेट की बैठकें चल रही है। वहीं भाजपा झारखंड में सरकार बनाने के लिए अब भी कोशिश में लगी है। भाजपा सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि झामुमो अब भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए तैयार है। जबकि ताजा हालातों पर गौर किया जाये तो शिबु सोरेन के इस्तीफा देते ही यह साफ हो गया था कि झामुमों झारखंड में अपनी सरकार बचाने में असफल रहे। हालांकि झारंखड में यह सियासी नाटक भाजपा और झामुमो के बीच तालमेल के अभाव के कारण हुआ है। भाजपा अपने फैसले पर अडिग तो शिबु सोरेन अपने फैसले पर अडिग रहे। नतीजा दोनों में किसी को कुछ भी हाथ नहीं लगा। जबकि कांग्रेस अब झारखंड में भावी रणनीति बनाकर ही कोई कदम उठाएगी। अक्टूबर में बिहार में विधान सभा के चुनाव होने की संभावना है। ऐसे में झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगने से सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस को ही हो सकता है। कांग्रेस की रणनीति अभी बिहार पर केन्द्रीत है और वह झारंखड मामले में कोई कदम नहीं उठाना चाहती है। |