राष्ट्रीय (29/05/2010) 
युवारक्त के सुनियोजित प्रवाह से होगा उज्ज्वल भविष्य का निर्माण -डा. पण्ड्या


हरिद्वार, 29 मई। ”क्या हो गया प्रकाशपुत्र को, अंधकार से जाकर मिल गया, तम से समझौता करके तम को नातेदार बना डाला।” आज के भटके हुये युवा को दिशा देने एवं देश में  युवा शक्ति के जागरण हेतु गायत्रीतीर्थ शान्तिकुन्ज द्वारा चलाए जा रहे युवा जाग्रति अभियान के अन्तर्गत देव संस्कृति विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय युवा संगोष्ठी का शुभारम्भ आज प्रातःकाल हुआ। 29 मई तक चलने वाली इस संगोश्ठी में गायत्री परिवार यूथ गु्रप और दिया (डिवाइन इंडिया यूथ एसोसिएशन) के 20 प्रांतों के 150 युवा प्रतिनिधियों तथा शान्तिकुन्ज व देसंविवि के युवा कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
 संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डाॅ0 प्रणव पण्ड्या ने कहा- यदि शरीर के रक्त का संचार रुक जाए या उसमें गड़बड़ी आ जाए तो शरीर में कई तरह की समस्याएं हो जाती हैं। इसी तरह विश्व का रक्त यानी युवारक्त यदि गलत दिशा में बहने लगे तो विश्व के समक्ष वही समस्याएं खड़ी हो जाती हैं, जो आज के दिनों में वैश्विक स्तर पर देखी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इस युवारक्त के सही दिशा मंे प्रवाह तथा विश्व के रचनात्मक नवनिर्माण के लिए युवा शक्ति के सुनियोजन हेतु यह अभियान चलाया जा रहा है। डाॅ0 पण्ड्या ने कहा कि कोई व्यक्ति उम्र से युवा नहीं होता। युवा वह है जो आशावादी है, जागरूक है, उत्साही है। उन्होंने युवक-युवतियों से जीवन मूल्यों को अंगीकार करने का आह्वान किया।
 कुलाधिपति ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय को श्रेष्ठ युवाओं को गढ़ने की टकसाल बताते हुए कहा कि शैक्षिक गतिविधियों के साथ-साथ कई रचनात्मक गतिविधियां चलाने वाला यह विवि देश के युवाओं का तीर्थ बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक जैसी गतिविधिया चलाने वाली विभिन्न संस्थाओं को एक मंच पर लाने के प्रयास देसंविवि और शान्तिकुन्ज द्वारा किए जायेंगे। संगोष्ठी में हर राज्य में प्रांतीय युवा संगठनों की स्थापना के अलावा जिला युवा मण्डल, ग्रामीण युवा मंडल, गायत्री परिवार यूथ ग्रुप तथा ‘दिया’ की इकाइयों के विस्तार का संकल्प युवा प्रतिनिधियों द्वारा लिया गया। युवाओं ने युवा जागरूकता की गतिविधियां पूरे देश में चलाने का व्रत लिया।
संगोष्ठी में अपने-अपने राज्यों के प्रगति प्रतिवेदन युवा प्रतिनिधियों ने प्रस्तुत किए। आज उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, उड़ीसा, बिहार, झारखण्ड आदि राज्यों के युवा प्रतिनिधियों की समूह चर्चाएं हुईं जिनमें क्षेत्रीय स्तर की समस्याओं के प्रस्तुतीकरण के साथ उनके निदान सुझाए गए। सायंकालीन सत्र को शान्तिकुन्ज के मनीशी प्रतिनिधि वीरेश्वर उपाध्याय ने ‘युग निर्माण हेतु युवाशक्ति का नियोजन’ विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। शान्तिकुन्ज के काली चरण शर्मा ने ‘राष्ट्रीय युवा संगठन का स्वरूप एवं युवा चेतना जागरण षिविर भोपाल-2010’ विशय पर युवा प्रतिनिधियों का मार्गदर्शन किया। आज मुम्बई के डा0 सौरभ मिश्र, लखनऊ के अनिल श्रीवास्तव, पटना के डा. श्रीकान्त भट्ट, भोपाल के विवेक विजयवर्गीय, कोलकाता की अजंना मेहरिया एवं जबलपुर के आनन्द विजयवर्गीय ने भी अपने विचार व्यक्त किये। 
कार्यक्रम में देसंविवि के कुलाधिपति के अलावा विवि के कुलपति डा एस पी मिश्र, शांतिकुंज के वरिष्ठ प्रतिनिधि वीरेश्वर उपाध्याय, डा ए के दत्ता, प्रो प्रमोद भटनागर, कालीचरण शर्मा आदि उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र का संचालन के0 पी0 दुबे ने किया।

 

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