राष्ट्रीय (13/05/2010)
शिबु सोरेन ने झारखंड के हालात के लिए जनता को दोषी ठहराया
रांची 13 मई। झारखंड के मौजूदा हालात के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबु सोरेन ने प्रदेश की जनता को दोषी ठहराते हुए कहा है कि खंडित जनादेश ही इस राज्य के विकास में सबसे बड़ा बाधक है। इसके लिए कहीं न कहीं राज्य की जनता दोषी है जिससे झारखंड में स्थिर सरकार नहीं बन सकी। उन्होंने कहा है कि प्रदेश के लोग विकास चाहते हैं तो विकास की गति देने के लिए एक स्थिर सरकार का चयन क्यों नहीं करते हैं। राज्य की बदहाली के लिए यहां की राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार जिम्मेदार है। जब तक सरकार स्थिर नहीं रहेगी राज्य में विकास की उम्मीद करना बेमानी है। यह देश का सबसे धनी राज्य है लेकिन यहां बदहाली सबसे ज्यादा है। कोई भी सरकार यहां स्थिर रूप से नहीं रह पाती। यह अब इस राज्य की जनता को तय करना है कि उन्हें क्या चाहिए। उन्होंने एक जनसमुदाय को सबोधित करते हुए यह स्वीकार किया है कि झारंखड विकास की दौड़ में हर संसाधनों और संभावनाओं के बावजूद पीछे रह गया है। झारखंड के समय में ही गठित अन्य राज्य आज विकास पटरी पर है जबकि झारखंड अब तक राजनीतिक झंझावतों से गुजर रहा है। उन्होंने कहा है कि झारखंड की स्थापना के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आंदोलन छेड़ा। जिस तरह यहां के निवासी झारखंड की स्थापना के लिए झामुमो का सहयोग किया अब इस राज्य के विकास के लिए झामुमो को सहयोग कीजिए। अगर इसी तरह खंडित जनादेश के आधार पर सरकार बनती रहेगी तो राज्य का विकास पटरी पर कैसे आ सकता है। उल्लेखनीय है कि भाजपा और झामुमो के सहयोग से चल रही सरकार भाजपा के समर्थन वापसी पर अल्पमत में आ गई थी। दोनों के बीच समझौते के बाद शिबु सोरेन को मुख्यमंत्री की कुसी से हटना पड़ सकता है। भाजपा झारखंड के मुख्यमंत्री के लिए नया नेता चुनने पर विचार कर रही है। जैसे ही भाजपा मुख्यमंत्री के लिए नया नेता चुन लेती है शिबु सोरेन को कुर्सी छोड़ना पड़ जाएगा। शिबु सोरेन ने बाद में भाजपा को तय अवधि के आधार पर सत्ता का साझीदार बनाने की बात कही थी। मतलब की कार्यकाल दो अवधि में बांटकर बारी बारी से मुख्यमंत्री पद पर झामुमो के बाद भाजपा का नेता बैठेगा। सोरेन के इस प्रस्ताव को भाजपा सीधे तौर पर खारिज कर दिया है। अगर सोरेन मुख्यमंत्री बने रहने के लिए अड़ जाते हैं तो भाजपा समर्थन वापस लेने पर पुनः विचार कर सकती है। |
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