राष्ट्रीय (10/05/2010)
आर्थिक संकट का हल ढूंढ रहे हैं यूरोपीय संगठन
नई दिल्ली 10 मई। अगर यूरोप में आई आर्थिक संकट का दौर लंबा चलता है तो भारत भी उससे अछूता नहीं रहेगा। यूरोपीय देशों की कोशिश तो यही है कि इस संकट से जल्द से जल्द निजात पाया जा सके। अन्यथा यही संकट फिर वैश्विक संकट का रूप ले लेगी। अभी पूरी दुनिया की निगाहे ग्रीस की आर्थिक संकट पर टिकी है। यूरोपीय संगठनों की कोशिश यही है कि इसे किसी तरह सहायता देकर मुख्य आर्थिक धारा से जोड़ा जाये। क्योंकि यूरोपीय उद्योगपतियां, व्यवसायियों और शेयर ब्रोकरों में सबसे ज्यादा इसकी खौफ देखी जा रही रही है। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु का मानना है कि यूरोप में आर्थिक संकट का दौर यदि सीमित दायरे में रहता है तो पूंजी बाजार पर इसका असर कम पड़ेगा। लेकिन अगर इसे संभलने में लंबा समय खीच लेता है तो इसका असर दुनिया के कई हिस्सों में देखा जायेगा। आज अधिकांश देश वैश्विक बाजार का हिस्सा है। उसके उतार चढ़ाव से उस देश का बाजार भी प्रभावित होता है। यूरोप के आर्थिक संकट को देखकर वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रति लोगो ंकी आशंका बढ़ गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था भी अब दुनिया की अर्थव्यवस्था से जुड़ी है। अब लोग वैश्विक बाजार में उतार चढ़ाव को देखकर लोग धन निकालना या निवेश करना शुरू कर देते है। इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू हैं। अगर उचित समय धन का निवेश किया गया तो उससे निवेशक फायदे में रहते हैं। यूरोप में मौजूदा संकट का हल के लिए यूरोपीय देश आर्थिक पैकेज भेज रहे हैं। सभी यह प्रयास में है कि इस समाधान जल्द से जल्द किया जाये अन्यथा यह वैश्विक रूप धारण कर लेगा। |
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