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राष्ट्रीय (30/04/2010) 
घाटे के दौर में बीएसएनएल, कुल लाभ में 80 फीसदी की गिरावट
नई दिल्ली 30 अप्रैल। देश में निजी संचार कंपनियों के उपभोक्ता वर्ग मेें लगातार वृद्धि हो रही है। जबकि भारत सरकार के दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल घाटे के दौर से गुजर रही है। गांव-गांव तक नेटवर्क होने के बावजूद बीएसएनल के प्रति ग्राहकों में दिलचस्पी नहीं दिखती है। बाजार में बीएसएनएल की हिस्सेदारी लगातार कम होती जा रही है। पिछले एक साल में बीएसएनल के कुल लाभ में 80 प्रतिशत की गिरावट आई है। एक रिपोर्ट के आधार पर निजी संचार कंपनियां अपने ग्राहकों में लगतार वृद्धि कर रही है।  बाजार में उतरी हर कंपनिया अपने नये ग्राहकों के जोड़ रही है। जबकि बीएसएनल के साथ उल्टा हो रहा है। बीएसएनएल देश में सबसे बड़ा संचार प्रदाता कंपनी है। देश के कोने-कोने में बीएसएनएल के नेटवर्क हैं। फिर भी बीएसएनएल बाजार में लगातार हिस्सेदारी गंवा रहा है। पिछले एक साल में कुल लाभ में अस्सी फीसदी का घाटा होना यह साबित करता है कि बीएसएनएल में कहीं न कहीं दिशा निर्देशोें की कमी है। मोबाइल कंपनियां नये नये आफर देकर ग्राहकों को आकर्षित कर रही है। हर साल उनके ग्राहकों की संख्या में वृद्धि हो रही है। लेकिन बीएसएनएल के उपभोक्ता वर्ग में लगातार गिरावट आ रही है। कभी बीएसएनएल के पास लैंडलाइन ग्राहकों की संख्या सबसे ज्यादा थी लेकिन अब उनकी संख्या में कमी होती जा रही है। अब लोग बीएसएनएल की जगह निजी कंपनियों के लैंडलाइन ज्यादा अपना रहे हैं। निजी कंपनियां आकर्षक काॅल दरों के साथ नित्य नये नये आफर लेकर बाजार में उतर रही है। जिसका असर बीएसएनल पर पड़ रहा है।
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