विशेष (09/01/2024)
महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के 57वें निरंकारी संत समागम की तैयारियां उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤•

नागपà¥à¤°, 9 जनवरी, 2024:- महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के 57वें वारà¥à¤·à¤¿à¤• निरंकारी संत समागम का à¤à¤µà¥à¤¯ रूप में आयोजन दिनांक 26, 27 à¤à¤µà¤‚ 28 जनवरी को परमॠपूजनीय सतगà¥à¤°à¥ माता सà¥à¤¦à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ जी महाराज à¤à¤µà¤‚ निरंकारी राजपिता रमित जी के पावन सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ में सेकà¥à¤Ÿà¤° 14 à¤à¤µà¤‚ 15, पतंजली फूड फैकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ के पास, मिहान, सà¥à¤®à¤ ाणा, नागपà¥à¤° (महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°) के विशाल मैदान में होने जा रहा है। इस विशाल आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• संत समागम को सफल बनाने हेतॠविगतॠ24 दिसंबर, 2023 से ही विधिवतॠरूप में सà¥à¤µà¥ˆà¤šà¥à¤›à¤¿à¤• सेवाओं का आरंठहो गया है उसके उपरांत से ही विदरà¥à¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के अतिरिकà¥à¤¤ समूचे महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° से à¤à¥€ हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ में निरंकारी सेवादल के सदसà¥à¤¯, सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवक à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤²à¥ à¤à¤•à¥à¤¤ बड़ी ही लगन, निषà¥à¤ ा और निषà¥à¤•ाम à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से समागम सà¥à¤¥à¤² पर पहà¥à¤‚चकर तैयारियों में अपना à¤à¤°à¤ªà¥‚र योगदान दे रहे हैं। à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ और सेवा के इतिहास से रंजित नागपà¥à¤° नगरी में पà¥à¤°à¤¥à¤® बार महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के पà¥à¤°à¤¾à¤‚तीय संत समागम को आयोजित करने का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† है जैसा कि सरà¥à¤µ विदित ही है कि निरंकारी संत समागम à¤à¤•तà¥à¤µ, पà¥à¤°à¥‡à¤® और विशà¥à¤µà¤¬à¤¨à¥à¤§à¥à¤¤à¥à¤µ का à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ अनà¥à¤ªà¤® सà¥à¤µà¤°à¥‚प पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करता है जिसमें केवल निरंकारी à¤à¤•à¥à¤¤ ही नहीं अपितॠपरमातà¥à¤®à¤¾ में आसà¥à¤¥à¤¾ रखने वाला पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मानव समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ होकर सतगà¥à¤°à¥ की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेते हà¥à¤ अपने जीवन को सारà¥à¤¥à¤• बना रहा है। इस दिवà¥à¤¯ संत समागम की तैयारियां अतà¥à¤¯à¤‚त उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ के साथ की जा रही है। बचà¥à¤šà¥‡, यà¥à¤µà¤¾, वृदà¥à¤µ सà¤à¥€ हरà¥à¤·à¥‹à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ के साथ बà¥à¤šà¥à¤•र तनमयतापूरà¥à¤µà¤• इन सेवाओं में लगे हà¥à¤ हैं। कहीं पर मैदानों को समतल किया जा रहा है तो कहीं समागम सà¥à¤¥à¤² की सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ सड़क निरà¥à¤®à¤¾à¤£ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ पर विशेष धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया जा रहा है। इसके अतिरिकà¥à¤¤ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समागम सà¥à¤¥à¤² पर सतà¥à¤¸à¤‚ग पंडाल, रिहायशी टेंट, शामियानों की सà¥à¤‚दर नगरी की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में सहायता करना इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ जैसे कारà¥à¤¯ à¤à¥€ कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• किठजा रहे हैं। à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤µ से परिपूरà¥à¤£ सà¤à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ à¤à¤•à¥à¤¤ सेवा को अपना परमॠसौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ मानकर उसे मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° निà¤à¤¾ रहे हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनके लिठसेवा कोई मजबूरी अथवा बनà¥à¤§à¤¨ नहीं यह तो आनंद पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का à¤à¤• पावन सà¥à¤…वसर है जिसके लिठवह सतगà¥à¤°à¥ का हृदय से आà¤à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ कर रहे हैं। महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के वारà¥à¤·à¤¿à¤• निरंकारी संत समागम में हर वरà¥à¤· की à¤à¤¾à¤‚ति इस वरà¥à¤· à¤à¥€ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ संसà¥à¤•ृति à¤à¤µà¤‚ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ अनà¥à¤ªà¤® संगम दृशà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ होगा जिसमें समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ होकर सà¤à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ à¤à¤•à¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤à¥à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ सजà¥à¤œà¤¨ आलौकिक अनà¥à¤à¥‚ति को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करेंगे। अतः हम यह कह सकते है कि इस दिवà¥à¤¯ संत समागम का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ मानवता à¤à¤µà¤‚ à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ की सà¥à¤‚दर à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को दृ़à¥à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करना है जो केवल बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤à¥‚ति से जà¥à¥œà¤•र ही संà¤à¤µ है। |
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