विशेष (09/01/2024)
राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¾à¤£ का आधार बनेगा राम मंदिर- पà¥à¤°à¥‹. (डॉ.) संजय दà¥à¤µà¤¿à¤µà¥‡à¤¦à¥€
आज पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ उतà¥à¤¸à¥à¤•à¤¤à¤¾ के साथ 22 जनवरी के à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• कà¥à¤·à¤£ का इंतजार कर रही है। दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में कोई à¤à¥€ देश हो, अगर उसे विकास की नई ऊंचाई पर पहà¥à¤‚चना है, तो उसे अपनी विरासत को संà¤à¤¾à¤²à¤¨à¤¾ ही होगा। हमारी विरासत, हमें पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देती है, हमें सही मारà¥à¤— दिखाती है। इसलिठआज का à¤à¤¾à¤°à¤¤, पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ और नूतन दोनों को आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ करते हà¥à¤ आगे बढ़ रहा है। à¤à¤• समय था जब अयोधà¥à¤¯à¤¾ में राम लला टेंट में विराजमान थे, लेकिन आज राम मंदिर का à¤à¤µà¥à¤¯ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हो रहा है। राम मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ à¤à¤• अनथक संघरà¥à¤· का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है। अयोधà¥à¤¯à¤¾ यानि वह à¤à¥‚मि जहां कà¤à¥€ यà¥à¤¦à¥à¤§ न हà¥à¤† हो। à¤à¤¸à¥€ à¤à¥‚मि पर कलयà¥à¤— में à¤à¤• लंबी लड़ाई चली और तà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾à¤¯à¥à¤— में पैदा हà¥à¤ रघà¥à¤•à¥à¤² गौरव à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® को आखिरकार छत नसीब होने वाली है। राजनीति कैसे साधारण विषयों को à¤à¥€ उलà¤à¤¾à¤•à¤° मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ में तबà¥à¤¦à¥€à¤² कर देती है, रामजनà¥à¤®à¤à¥‚मि का विवाद इसका उदाहरण है। आजादी मिलने के समय सोमनाथ मंदिर के साथ ही यह विषय हल हो जाता तो कितना अचà¥à¤›à¤¾ होता। आकà¥à¤°à¤®à¤£à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के मंदिरों के साथ कà¥à¤¯à¤¾ किया गया, यह छिपा हà¥à¤† तथà¥à¤¯ नहीं है। किंतॠउन हजारों मंदिरों की जगह, अयोधà¥à¤¯à¤¾ की जनà¥à¤®à¤à¥‚मि को नहीं रखा जा सकता। à¤à¤• à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ की परिणति आखिरकार à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ ही होता है। यह बहà¥à¤¤ संतोष की बात है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ की नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के तहत आठफैसले से मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ संपनà¥à¤¨ हà¥à¤† है। देश के पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ नरेंदà¥à¤° मोदी इस अरà¥à¤¥ में गौरवशाली हैं कि उनके कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में इस विवाद का सौजनà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤£ हल निकल सका और मंदिर निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हो सका। इस आंदोलन से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ अनेक नायक आज दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में नहीं हैं। उनकी सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ आती है। मà¥à¤à¥‡ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ है उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के नेता और मंतà¥à¤°à¥€ रहे शà¥à¤°à¥€ दाऊदयाल खनà¥à¤¨à¤¾ ने मंदिर के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ को आठवें दशक में जोरशोर से उठाया था। उसके साथ ही शà¥à¤°à¥€ अशोक सिंहल जैसे नायक का आगमन हà¥à¤† और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी संगठन कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ से इस आंदोलन को जनांदोलन में बदल दिया। संत रामचंदà¥à¤° परमहंस, महंत अवैदà¥à¤¯à¤¨à¤¾à¤¥ जैसे संत इस आंदोलन से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ और समूचे देश में इसे लेकर à¤à¤• à¤à¤¾à¤µà¤à¥‚मि बनी। तब से लेकर आज तक सरयू नदी ने अनेक जमावड़े और कारसेवा के पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग देखे हैं। सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ के सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® फैसले के बाद जिस तरह का संयम हिंदू समाज ने दिखाया वह à¤à¥€ बहà¥à¤¤ महतà¥à¤¤à¥à¤µ का विषय है। कà¥à¤¯à¤¾ ही अचà¥à¤›à¤¾ होता कि इस कारà¥à¤¯ को साà¤à¥€ समठसे हल कर लिया जाता। किंतॠराजनीतिक आगà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ ने à¤à¤¸à¤¾ होने नहीं दिया। कई बार जिदें कà¥à¤› देकर नहीं जातीं, à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾, सदà¥à¤à¤¾à¤µ और à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¥‡ पर गà¥à¤°à¤¹à¤£ जरà¥à¤° लगा देती हैं। दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के किसी देश में यह संà¤à¤µ नहीं है उसके आराधà¥à¤¯ इतने लंबे समय तक मà¥à¤•à¤¦à¤®à¥‹à¤‚ का सामना करें। किंतॠयह हà¥à¤† और सारी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ ने इसे देखा। यह à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लोकतंतà¥à¤°, उसके नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤•-सामाजिक मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का समय à¤à¥€ है। यह सिरà¥à¤« मंदिर नहीं है जनà¥à¤®à¤à¥‚मि है, हमें इसे कà¤à¥€ नहीं à¤à¥‚लना चाहिà¤à¥¤ विदेशी आकà¥à¤°à¤¾à¤‚ताओं का मानस कà¥à¤¯à¤¾ रहा होगा, कहने की जरà¥à¤°à¤¤ नहीं है। किंतॠहर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤¾à¤¸à¥€ का राम से रिशà¥à¤¤à¤¾ है, इसमें à¤à¥€ कोई दो राय नहीं है। वे हमारे पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤ªà¥à¤°à¥à¤· हैं, इतिहास पà¥à¤°à¥à¤· हैं और उनकी लोकवà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ विसà¥à¤®à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€ है। à¤à¤¸à¤¾ लोकनायक न सदियों में हà¥à¤† है और न होगा। लोकजीवन में, साहितà¥à¤¯ में, इतिहास में, à¤à¥‚गोल में, हमारी पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¤•à¤²à¤¾à¤“ं में उनकी उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ बताती है राम किस तरह इस देश का जीवन हैं। राम शबà¥à¤¦ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ की ‘रम’ कà¥à¤°à¥€à¤¡à¤¼à¤¾à¤¯à¤¾à¤® धातॠसे बना है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ हरेक मनà¥à¤·à¥à¤¯ के अंदर रमण करने वाला जो चैतनà¥à¤¯-सà¥à¤µà¤°à¥‚प आतà¥à¤®à¤¾ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है, वही राम है। राम को शील-सदाचार, मंगल-मैतà¥à¤°à¥€, करà¥à¤£à¤¾, कà¥à¤·à¤®à¤¾, सौंदरà¥à¤¯ और शकà¥à¤¤à¤¿ का परà¥à¤¯à¤¾à¤¯ माना गया है। कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सतत साधना के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपने संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का परिशोधन कर राम के इन तमाम सदà¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ को अंगीकार कर लेता है, तो उसका चितà¥à¤¤ इतना निरà¥à¤®à¤² और पारदरà¥à¤¶à¥€ हो जाता है कि उसे अपने अंत:करण में राम के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ का अहसास होने लगता है। कदाचित यही वह अवसà¥à¤¥à¤¾ है जब संत कबीर के मà¥à¤– से निकला होगा, _*‘मोको कहां ढूंढे रे बंदे, मैं तो तेरे पास में*_ _*ना मैं मंदिर ना मैं मसà¥à¤œà¤¿à¤¦, ना काबे कैलास में।’*_ राम, दशरथ और कौशलà¥à¤¯à¤¾ के पà¥à¤¤à¥à¤° थे। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में दशरथ का अरà¥à¤¥ है- दस रथों का मालिक। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ पांच करà¥à¤®à¥‡à¤‚दà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और पांच जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥‡à¤‚दà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¥¤ कौशलà¥à¤¯à¤¾ का अरà¥à¤¥ है- ‘कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾â€™à¥¤ जब कोई अपनी करà¥à¤®à¥‡à¤‚दà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर संयम रखते हà¥à¤ अपनी जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥‡à¤‚दà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• सनà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤— की ओर पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करता है, तो उसका चितà¥à¤¤ सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• रूप से राम में रमने लगता है। पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की तमाम सामगà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ उसके लिठगौण हो जाती हैं। à¤à¤¸à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ इतना सहज और सरल हो जाता है कि वह जीवन में आने वाली तमाम मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤²à¥‹à¤‚ का सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤ªà¥à¤°à¤œà¥à¤ž होकर मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ सामना कर लेता है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जनमानस में राम का महतà¥à¤µ इसलिठनहीं है कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जीवन में इतनी मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤²à¥‡à¤‚ à¤à¥‡à¤²à¥€à¤‚, बलà¥à¤•à¤¿ उनका महतà¥à¤µ इसलिठहै, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उन तमाम कठिनाइयों का सामना बहà¥à¤¤ ही सहजता से किया। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® à¤à¥€ इसलिठकहते हैं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अपने सबसे मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को बेहद गरिमापूरà¥à¤£ रखा। राम का होना मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤“ं का होना है, रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का होना है, संवेदना का होना है, सामाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ का होना है, करà¥à¤£à¤¾ का होना है। वे सही मायनों में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ के उचà¥à¤šà¤¾à¤¦à¤°à¥à¤¶à¥‹à¤‚ को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने वाले नायक हैं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ईशà¥à¤µà¤° कहकर हम अपने से दूर करते हैं। जबकि à¤à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ के नाते उनकी उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ हमें अधिक पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करती है। à¤à¤• आदरà¥à¤¶ पà¥à¤¤à¥à¤°, à¤à¤¾à¤ˆ, सखा, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¯ नायक हर रà¥à¤ª में वे संपूरà¥à¤£ हैं। उनके राजतà¥à¤µ में à¤à¥€ लोकततà¥à¤µ और लोकतंतà¥à¤° के मूलà¥à¤¯ समाहित हैं। वे जीतते हैं किंतॠहड़पते नहीं। सà¥à¤—à¥à¤°à¥€à¤µ और विà¤à¥€à¤·à¤£ का राजतिलक करके वे उन मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ करते हैं जो विशà¥à¤µà¤¶à¤¾à¤‚ति के लिठजरà¥à¤°à¥€ हैं। वे आकà¥à¤°à¤¾à¤®à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ और विधà¥à¤µà¤‚शक नहीं है। वे देशों का à¤à¥‚गोल बदलने की आसà¥à¤°à¥€ इचà¥à¤›à¤¾ से मà¥à¤•à¥à¤¤ हैं। वे मà¥à¤•à¥à¤¤ करते हैं बांधते नहीं। अयोधà¥à¤¯à¤¾ उनके मन में बसती है। इसलिठवे कह पाते हैं, _*जननी जनà¥à¤®à¤à¥‚मिशà¥à¤¯à¥à¤š सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ादपि गरीयसी।*_ यानि जनà¥à¤®à¤à¥‚मि सà¥à¤µà¤°à¥à¤— से à¤à¥€ महान है। अपनी माटी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ यह à¤à¤¾à¤µ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ नागरिक का à¤à¤¾à¤µ होना चाहिà¤à¥¤ वे नियमों पर चलते हैं। अति होने पर ही शकà¥à¤¤à¤¿ का आशà¥à¤°à¤¯ लेते हैं। उनमें अपार धीरज है। वे समà¥à¤¦à¥à¤° की तीन दिनों तक पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करते हैं। _*विनय न मानत जलधि जड़ गठतीन दिन बीति*_ _*बोले राम सकोप तब à¤à¤¯ बिनॠहोहिं न पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¥¤*_ यह उनके धैरà¥à¤¯ का उचà¥à¤šà¤¾à¤¦à¤°à¥à¤¶ है। वे वाणी से, कृति से किसी को दà¥à¤– नहीं देना चाहते हैं। वे चेहरे पर हमेशा मधà¥à¤° मà¥à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤¨ रखते हैं। उनके घीरोदातà¥à¤¤ नायक की छवि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बहà¥à¤¤ अलग बनाती है। वे जनता के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ हैं। इसलिठतà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ जी रामराज की अपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤® छवि का वरà¥à¤£à¤¨ करते हैं- _*दैहिक दैविक à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• तापा, रामराज काहà¥à¤‚हिं नहीं वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¥¤*_ राम ने जो आदरà¥à¤¶ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किठउस पर चलना कठिन है। किंतॠलोकमन में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ इस नायक को सबने अपना आदरà¥à¤¶ माना। राम सबके हैं। वे कबीर के à¤à¥€ हैं, रहीम के à¤à¥€ हैं, वे गांधी के à¤à¥€ हैं, लोहिया के à¤à¥€ हैं। राम का चरितà¥à¤° सबको बांधता है। अनेक रामायण और रामचरित पर लिखे गठमहाकावà¥à¤¯ इसके उदाहरण हैं। राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤•à¤µà¤¿ मैथिलीशरण गà¥à¤ªà¥à¤¤ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ लिखते हैं- _*राम तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ चरित सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही कावà¥à¤¯ है*_ _*कोई कवि बन जाà¤, सहज संà¤à¤¾à¤µà¥à¤¯ है।*_ à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के à¤à¤¸à¥‡ वटवृकà¥à¤· हैं, जिनकी पावन छाया में मानव यà¥à¤—-यà¥à¤— तक जीवन की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ और उपदेश लेता रहेगा। जब तक शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® जन-जन के हृदय में जीवित हैं, तब तक à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के मूल ततà¥à¤µ अजर-अमर रहेंगे। शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जन-जीवन में धरà¥à¤® à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• हैं, उनमें मानवोचित और देवोचित गà¥à¤£ थे, इसीलिठवे "मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤®" कहलाà¤à¥¤ à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® का जीवन चरितà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सीमाओं को लांघकर विदेशियों के लिठà¤à¥€ शांति, पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ और नवजीवनदायक बनता जा रहा है। शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® धरà¥à¤® के साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प हैं, धरà¥à¤® के किसी अंग को देखना है, तो राम का जीवन देखिये, आपको धरà¥à¤® की असली पहचान हो जायेगी। धरà¥à¤® की पूरà¥à¤£à¤¤à¤¾ उनके जीवन में आदà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ घटित हà¥à¤ˆ है। शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® ने लौकिक धरातल पर सà¥à¤¥à¤¿à¤° रहकर धरà¥à¤® à¤à¤µà¤‚ मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ का पालन करते हà¥à¤ मानव को असतà¥à¤¯ से सतà¥à¤¯ की ओर, अधरà¥à¤® से धरà¥à¤® की ओर तथा अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ से नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ की ओर चलने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ दी है। करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ की वेदी पर अपने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त सà¥à¤–-पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨à¥‹à¤‚ की आहà¥à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® की जीवन कहानी का सार है। संसार में महापà¥à¤°à¥à¤· अपने जीवन, गà¥à¤£, करà¥à¤®, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ, करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, तप-तà¥à¤¯à¤¾à¤— और तपसà¥à¤¯à¤¾ से जो अमर जीवन-संदेश देते हैं, वही मानवता की सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ धरोहर होती है। हमारा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि हम à¤à¤¸à¥‡ दैवीय गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के धनी मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® शà¥à¤°à¥€ रामचंदà¥à¤° की संताने हैं। शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® का पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• चरितà¥à¤° à¤à¥‚ली-à¤à¤Ÿà¤•à¥€ मानव जाति में नवजीवन चेतना का संचार कर सकता है। उनके जीवन की घटनाà¤à¤‚ आज के à¤à¥‹à¤—ी विलासी और मानवता का गला घोंटने वाले नामधारी मनà¥à¤·à¥à¤¯ को बहà¥à¤¤ कà¥à¤› सोचने, करने और जीने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ दे सकती है। उनके जीवन के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤•à¤²à¤¾à¤ª से अमर संदेश मिलता है। शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दरà¥à¤¶à¤¿à¤¤ आदरà¥à¤¶à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ जीवन मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज में बहà¥à¤¤ ऊंचा सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। यदि हम सबक लेना चाहें, तो रामायण की पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• घटना से बहà¥à¤¤ कà¥à¤› सीखा जा सकता है। लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ जी का शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® जी के साथ वन-गमन करना, à¤à¤°à¤¤ जी का राजà¥à¤¯ को ठà¥à¤•à¤°à¤¾à¤¨à¤¾, पादà¥à¤•à¤¾ रखकर शासन-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ चलाना, परसà¥à¤ªà¤° à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ का शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ उदाहरण है। आज à¤à¤¾à¤ˆ-à¤à¤¾à¤ˆ à¤à¤• दूसरे के रकà¥à¤¤ के पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥‡ हो रहे हैं, परिवार परसà¥à¤ªà¤° की कलह के कारण टूट रहे हैं। सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥, अहंकार और अकेले à¤à¥‹à¤—ने की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ उदà¥à¤¦à¤¾à¤® हो रही है। à¤à¤¸à¥‡ में रामायण हमें शिकà¥à¤·à¤¾ देती है कि नशà¥à¤µà¤° सà¥à¤–-à¤à¥‹à¤— और धन-धाम-धरा के लिठपरसà¥à¤ªà¤° लड़ना नहीं चाहिà¤à¥¤ चितà¥à¤°à¤•à¥‚ट पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸-काल में शूरà¥à¤ªà¤£à¤–ा दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® को अपनी ओर आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ करके विवाह का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ रखने पर राम दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दृढ़ता से मना कर देना पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देता है कि यदि जीवन को सà¥à¤–ी और शानà¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¯ बनाना है, तो à¤à¤• पतà¥à¤¨à¥€à¤µà¥à¤°à¤¤ का आचरण करना चाहिà¤à¥¤ सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤®à¥ƒà¤— को देखकर सीताजी का उसे पाने की इचà¥à¤›à¤¾ करना तथा à¤à¤—वान राम दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मायावी मृग को पाने के लिठपीछे दौड़ना और सीता जी का हरण हो जाने की घटना आज के जीवन पà¥à¤°à¤¸à¤‚गों को बहà¥à¤¤ कà¥à¤› पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ दे सकती है। आज का मनà¥à¤·à¥à¤¯ धन की मृगतृषà¥à¤£à¤¾ के पीछे पागलों की तरह दौड़ा जा रहा है, जो पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है उससे संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ नहीं हो पा रहा है। विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की चमकीली, à¤à¤¡à¤¼à¤•à¥€à¤²à¥€, दिखावटी, बनावटी चीजों के पीछे दिन-रात अधरà¥à¤®-असतà¥à¤¯, छल-पà¥à¤°à¤ªà¤‚च का सहारा लेकर दौड़ा जा रहा है। इससे हानि यह हà¥à¤ˆ है कि आतà¥à¤®à¤¾à¤°à¥‚पी सीता छिन गई है, à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•à¤µà¤¾à¤¦à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सिरà¥à¤« शरीर के लिठजीने लगा है तथा इसी मृगतृषà¥à¤£à¤¾ में वह जीवन का अंत कर लेता है। रामायण कहती है दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में आंखें खोलकर चलो, सà¤à¥€ चमकने वाली चीजें सोना नहीं होती हैं। चमक-दमक में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हमेशा धोखा खाता है, इसी धोखे में आतà¥à¤®à¤°à¥‚पी सीता का रावण दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हरण होता है तथा बाद में राम-रावण का निरà¥à¤£à¤¾à¤¯à¤• यà¥à¤¦à¥à¤§ होता है। यदि रामायण से कà¥à¤› सीखना है, तो चरितà¥à¤° निरà¥à¤®à¤¾à¤£, विचारों की उचà¥à¤šà¤¤à¤¾, à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾, पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ तथा जीवन को धरà¥à¤®-मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¤µà¤‚ उचà¥à¤šà¤¾à¤¦à¤°à¥à¤¶ की ओर ले चलना सीखें। सीता जी का राम जी के साथ वन जाना संसार के इतिहास में à¤à¤• नया अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ जोड़ देता है। वनवास राम जी को मिला था, सीता जी को नहीं, रामायण में वनवास का पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग यह शिकà¥à¤·à¤¾ देता हैं की नारी की परीकà¥à¤·à¤¾ संपतà¥à¤¤à¤¿ में नहीं विपतà¥à¤¤à¤¿ में होती है। राम अपने जीवन की सरलता, संघरà¥à¤· और लोकजीवन से सहज रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के नाते कवियों और लेखकों के सहज आकरà¥à¤·à¤£ का केंदà¥à¤° रहे हैं। उनकी छवि अति मनà¤à¤¾à¤µà¤¨ है। वे सबसे जà¥à¤¡à¤¼à¤¤à¥‡ हैं, सबसे सहज हैं। उनका हर रूप, उनकी हर à¤à¥‚मिका इतनी मोहनी है कि कविता अपने आप फूटती है। किंतॠसच तो यह है कि आज के कठिन समय में राम के आदरà¥à¤¶à¥‹à¤‚ पर चलता साधारण नहीं है। उनसी सहजता लेकर जीवन जीना कठिन है। वे सही मायनों में इसीलिठमरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® कहे गà¤à¥¤ उनका समूचा वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ राजपà¥à¤¤à¥à¤° होने के बाद à¤à¥€ संघरà¥à¤·à¥‹à¤‚ की अविरलता से बना है। वे कà¤à¥€ सà¥à¤– और चैन के दिन कहां देख पाते हैं। वे लगातार यà¥à¤¦à¥à¤§ में हैं। घर में, परिवार में, ऋषियों के यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾ करते हà¥à¤, आसà¥à¤°à¥€ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से जूà¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤, निजी जीवन में दà¥à¤–ों का सामना करते हà¥à¤, बालि और रावण जैसी सतà¥à¤¤à¤¾à¤“ं से टकराते हà¥à¤à¥¤ वे अविचल हैं। योदà¥à¤§à¤¾ हैं। उनकी मà¥à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤¨ मलिन नहीं पड़ती। अयोधà¥à¤¯à¤¾ लौटकर वे सबसे पहले मां कैकेयी का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ लेते हैं। यह विराटता सरल नहीं है। पर राम à¤à¤¸à¥‡ ही हैं। सहज-सरल और इस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के à¤à¤• अबूठसे मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥¤ राम à¤à¤•à¥à¤¤ वतà¥à¤¸à¤² हैं, मितà¥à¤° वतà¥à¤¸à¤² हैं, पà¥à¤°à¤œà¤¾ वतà¥à¤¸à¤² हैं। उनकी à¤à¤• जिंदगी में अनेक छवियां हैं। जिनसे सीखा जा सकता है। अयोधà¥à¤¯à¤¾ का मंदिर इन सदॠविचारों, शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ जीवन मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• बने। राम सबके हैं। सब राम के हैं। यह à¤à¤¾à¤µ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ हो तो देश जà¥à¤¡à¤¼à¥‡à¤—ा। यह देश राम का है। इस देश के सà¤à¥€ नागरिक राम के ही वंशज हैं। हम सब उनके ही वैचारिक और वंशानà¥à¤—त उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ हैं, यह मानने से दायितà¥à¤µà¤¬à¥‹à¤§ à¤à¥€ जागेगा, राम अपने से लगेगें। जब वे अपने से लगेगें तो उनके मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ और उनकी विरासतों से मà¥à¤‚ह मोड़ना कठिन होगा। सही मायनों में ‘रामराजà¥à¤¯â€™ आà¤à¤—ा। कवि बालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ के राम, तà¥à¤²à¤¸à¥€ के राम, गांधी के राम, कबीर के राम, लोहिया के राम, हम सबके राम हमारे मनों में होंगे। वे तब à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ à¤à¤° नहीं होंगे, बलà¥à¤•à¤¿ तातà¥à¤µà¤¿à¤• उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ à¤à¥€ होंगे। वे सामाजिक समरसता और ममता के पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• à¤à¥€ बनेंगे और करà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€à¥¤ इसी में हमारी और इस देश की मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ है। आज के à¤à¤¾à¤°à¤¤ का मिजाज़, अयोधà¥à¤¯à¤¾ में सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ दिखता है। आज यहां पà¥à¤°à¤—ति का उतà¥à¤¸à¤µ है, तो कà¥à¤› दिन बाद यहां परंपरा का उतà¥à¤¸à¤µ à¤à¥€ होगा। आज यहां विकास की à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ दिख रही है, तो कà¥à¤› दिनों बाद यहां विरासत की à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ और दिवà¥à¤¯à¤¤à¤¾ दिखने वाली है। यही तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ है। विकास और विरासत की यही साà¤à¤¾ ताकत, à¤à¤¾à¤°à¤¤ को 21वीं सदी में सबसे आगे ले जाà¤à¤—ी। लेखक- पà¥à¤°à¥‹. (डॉ.) संजय दà¥à¤µà¤¿à¤µà¥‡à¤¦à¥€, पूरà¥à¤µ महानिदेशक, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जन संचार संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨, नई दिलà¥à¤²à¥€ |
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