विशेष (29/12/2023)
शिवाजी के किलों की कहानी बताती है ‘हिनà¥à¤¦à¤µà¥€ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨â€™ - पà¥à¤°à¥‹. (डॉ) संजय दà¥à¤µà¤¿à¤µà¥‡à¤¦à¥€

लेखक लोकेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह बहà¥à¤®à¥à¤–ी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ के धनी हैं। कवि, कहानीकार, सà¥à¤¤à¤®à¥à¤à¤²à¥‡à¤–क होने के साथ ही यातà¥à¤°à¤¾ लेखन में à¤à¥€ उनका दखल है। घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी उनका सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ है। वे जहाठà¤à¥€ जाते हैं, उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के अपने अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ के साथ ही उसके à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ सांसà¥à¤•ृतिक महतà¥à¤µ से सबको परिचित कराने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ à¤à¥€ वे अपने यातà¥à¤°à¤¾ संसà¥à¤®à¤°à¤£à¥‹à¤‚ से करते हैं। अà¤à¥€ हाल ही उनकी à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ‘हिनà¥à¤¦à¤µà¥€ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨â€™ मंजà¥à¤² पà¥à¤°à¤•ाशन से पà¥à¤°à¤•ाशित हà¥à¤ˆ है, जो छतà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ शिवाजी महाराज के किलों के à¤à¥à¤°à¤®à¤£ पर आधारित है। हालांकि, यह à¤à¤• यातà¥à¤°à¤¾ वृतà¥à¤¤à¤¾à¤‚त है लेकिन मेरी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में इसे केवल यातà¥à¤°à¤¾ वृतà¥à¤¤à¤¾à¤‚त तक सीमित करना उचित नहीं होगा। यह पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• शिवाजी महाराज के किलों की यातà¥à¤°à¤¾ से तो परिचित कराती ही है, उससे कहीं अधिक यह उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ ‘हिनà¥à¤¦à¤µà¥€ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯â€™ या ‘हिनà¥à¤¦à¥‚ सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯â€™ के दरà¥à¤¶à¤¨ से à¤à¥€ परिचित कराती है। हम सब जानते हैं कि जिस वकà¥à¤¤ शिवाजी महाराज ने सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ का सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ देखा था, उस समय à¤à¤¾à¤°à¤¤ के अधिकांश à¤à¤¾à¤— पर मà¥à¤—लिया सलà¥à¤¤à¤¨à¤¤ की छाया थी। उस दौर मंव पराकà¥à¤°à¤®à¥€ राजाओं ने à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° हिनà¥à¤¦à¥‚ राजà¥à¤¯ की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ करना छोड़ दिया था। तब à¤à¤• वीर किशोर ने अपने आठ-नौ साथियों के साथ महादेव को साकà¥à¤·à¥€ मानकर ‘हिनà¥à¤¦à¤µà¥€ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯â€™ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾ ली। अपनी इस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾ को पूरा करने में हिनà¥à¤¦à¤µà¥€ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ के मावलों का जिस पà¥à¤°à¤•ार का संघरà¥à¤·, समरà¥à¤ªà¤£ और बलिदान रहा, उसे आज की पीà¥à¥€ को बताना बहà¥à¤¤ आवशà¥à¤¯à¤• है। लोकेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• इस उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ में à¤à¥€ बहà¥à¤¤ हद तक सफल होती है। छतà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ शिवाजी महाराज ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ के ‘सà¥à¤µâ€™ के आधार पर ‘हिनà¥à¤¦à¤µà¥€ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯â€™ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की थी। हिनà¥à¤¦à¤µà¥€ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ में राज वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से लेकर नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ तक का चिंतन ‘सà¥à¤µâ€™ के आधार पर किया गया। à¤à¤¾à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ हो या फिर पà¥à¤°à¤•ृति संरकà¥à¤·à¤£ का, सबका आधार ‘सà¥à¤µâ€™ रहा। इसलिठहिंदवी सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ के मूलà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤à¤‚ आज à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक हैं। पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से इसका वरà¥à¤£à¤¨ आया है कि कैसे शिवाजी महाराज ने सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ करने के साथ ही शासन वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से अरबी-फारसी के शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को बाहर करके सà¥à¤µà¤à¤¾à¤·à¤¾ को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ दिया। जल à¤à¤µà¤‚ वन संरकà¥à¤·à¤£ की कà¥à¤¯à¤¾ अदà¥à¤à¥à¤¤ संरचनाà¤à¤‚ खड़ी कीं। मà¥à¤—लों की मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ को बेदखल करके सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की अपनी मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤à¤‚ चलाईं। तोपखाने का महतà¥à¤µ समà¤à¤•र सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के अनà¥à¤•ूल तोपों के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का कारà¥à¤¯ आरंठकराया। समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ सीमाओं का महतà¥à¤µ जानकर, नौसेना खड़ी की। पà¥à¤°à¥à¤¤à¤—ालियों à¤à¤µà¤‚ फà¥à¤°à¤¾à¤‚सिसियों पर निरà¥à¤à¤° न रहकर नौसेना के लिठजहाजों à¤à¤µà¤‚ नौकाओं के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के कारखाने सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किà¤à¥¤ किसानों की वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• आवशà¥à¤¯à¤•ताà¤à¤‚ à¤à¤µà¤‚ मजबूरियों को समà¤à¤•र कृषि नीति बनायी। इन सब विषयों पर à¤à¥€ लेखक लोकेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह ने अपनी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ‘हिनà¥à¤¦à¤µà¥€ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨â€™ में बात की है। हम कह सकते हैं कि ‘हिंदवी सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨â€™ अपने पाठकों को छतà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ शिवाजी महाराज के दà¥à¤°à¥à¤—ों के दरà¥à¤¶à¤¨ कराने के साथ ही सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की अवधारणा à¤à¤µà¤‚ उसके लिठहà¥à¤ संघरà¥à¤·â€“बलिदान से परिचित कराती है। पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में सिंहगढ़ दà¥à¤°à¥à¤— पर नरवीर तानाजी मालूसरे के बलिदान की कहानी, पà¥à¤°à¤‚दर किले में मिरà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¾à¤œà¤¾ जयसिंह के साथ हà¥à¤ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• यà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¤µà¤‚ संधि, पà¥à¤£à¥‡ के लाल महल में औरंगजेब के मामा शाइसà¥à¤¤à¤¾ खान पर शिवाजी महाराज की सरà¥à¤œà¤¿à¤•ल सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤• का रोचक वरà¥à¤£à¤¨ लेखक लोकेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह ने किया है। इसके साथ ही शिवाजी महाराज की राजधानी दà¥à¤°à¥à¤— दà¥à¤°à¥à¤—ेशà¥à¤µà¤° रायगढ़ का सौंदरà¥à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤£ वरà¥à¤£à¤¨ लेखक ने किया है। पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का यह सबसे अधिक विसà¥à¤¤à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ है। छतà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ के राजà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• का तो आà¤à¤–ों देखा हाल सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ का लेखकीय करà¥à¤® का बखूबी निरà¥à¤µà¤¹à¤¨ किया गया है। पाठक जब राजà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• के वरà¥à¤£à¤¨ को पà¥à¤¤à¥‡ हैं, तो सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• ही वे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को छतà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ के राजà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• समारोह में खड़ा हà¥à¤† पाते हैं। राजà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• का à¤à¤•-à¤à¤• दृशà¥à¤¯ पाठक की आà¤à¤–ों में उतर आता है। यह संयोग ही है कि यह वरà¥à¤· हिनà¥à¤¦à¤µà¥€ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ 350वां वरà¥à¤· है। इस निमितà¥à¤¤ देशà¤à¤° में हिनà¥à¤¦à¤µà¥€ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की संकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¤µà¤‚ उसकी पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिकता को जानने-समà¤à¤¨à¥‡ के पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ हो रहे हैं। à¤à¤¸à¥‡ में लोकेंदà¥à¤° सिंह की बहà¥à¤šà¤°à¥à¤šà¤¿à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ‘हिंदवी सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨â€™ को पढ़ना सà¥à¤–द है। लेखक शà¥à¤°à¥€à¤¶à¤¿à¤µ छतà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ दà¥à¤°à¥à¤— दरà¥à¤¶à¤¨ यातà¥à¤°à¤¾ के बहाने इतिहास के गौरवशाली पृषà¥à¤ हमारे सामने खोलकर रख दिठहैं। लेखनी का पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ मैदानी नदी की तरह सहज-सरल है। जो पहले पृषà¥à¤ से आखिरी पृषà¥à¤ तक पाठक को अपने साथ सहज ही लेकर चलती है। यदि आपकी यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं में रà¥à¤šà¤¿ है और इतिहास à¤à¤µà¤‚ संसà¥à¤•ृति को जानने की ललक है, तब यह पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• अवशà¥à¤¯ पà¥à¤¿à¤à¥¤ ‘हिंदवी सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨â€™ अमेजन पर उपलबà¥à¤§ है। अमेजन पर यह पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• यातà¥à¤°à¤¾ लेखन शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ के अंतरà¥à¤—त काफी पसंद की जा रही है। पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का पà¥à¤°à¤•ाशन ‘मंजà¥à¤² पà¥à¤°à¤•ाशन’ ने किया है। पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• : हिनà¥à¤¦à¤µà¥€ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ लेखक : लोकेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह मूलà¥à¤¯ : 250 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ (पेपरबैक) पà¥à¤°à¤•ाशक : सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤°, मंजà¥à¤² पबà¥à¤²à¤¿à¤¶à¤¿à¤‚ग हाउस, à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤² (समीकà¥à¤·à¤•, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जनसंचार संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨, नईदिलà¥à¤²à¥€ के पूरà¥à¤µ महानिदेशक हैं।) |
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