विशेष (14/12/2023)
साहितà¥à¤¯ में अपनी अलग पहचान बनाई गीता मंजरी मिशà¥à¤° ने।
साहितà¥à¤¯ जगत में अपनी अलग पहचान बनाने वाली शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ गीता मंजरी मिशà¥à¤°(सतपथी) का जनà¥à¤® 10 मारà¥à¤š 1956 ईo को जमशेदपà¥à¤° में हà¥à¤† था। इनकी माता शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ इलावती सतपथी à¤à¤µà¤‚ पिता शà¥à¤°à¥€ पंचानन सतपथी दोनों में साहितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¥‡à¤® à¤à¤°à¤¾ था। घर पर साहितà¥à¤¯ चरà¥à¤šà¤¾ ,कवि -गोषà¥à¤ ियों आदि का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ इनपर पड़ा।कम उमà¥à¤° से इनकी कविताà¤à¤‚ अपनी मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ होती रही। पढ़ाई का पà¥à¤°à¤¥à¤® चरण जमशेदपà¥à¤° में पूरा हà¥à¤†à¥¤ साहितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¥‡à¤® इनà¥à¤¹à¥‡ विरासत में मिला है। इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी आगे की पढ़ाई ओडिशा (राउरकेला) से की है। इस दौरान à¤à¥€ लेखन कारà¥à¤¯ जारी रखा। पतà¥à¤° पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤“ं में दूरà¤à¤¾à¤· में à¤à¥€ उनदिनों कविताà¤à¤‚ लेख आदि पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ होते रहे हैं। विवाह के बाद कोलकाता चली आई ,आदितà¥à¤¯ बिरला वाणी à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ में शिकà¥à¤·à¤¿à¤•à¤¾ के रूप में कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ रहीं । पारिवारिक दायितà¥à¤µ के साथ अधिकारिक कारà¥à¤¯ निà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ समय निचोड़ कर कà¤à¥€-कà¥à¤› अंतरà¥à¤§à¥à¤µà¤¨à¤¿ कलम पर उतार लेती थी। इनकी मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ ओडिया है। विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की शिकà¥à¤·à¤¿à¤•à¤¾ रहते समय इनकी रचनाओं की पहचान हिंदी अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¿à¤•à¤¾ वरà¥à¤·à¤¾ दाधीच ने की à¤à¤µà¤‚ उनकी अनà¥à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ à¤à¤µà¤®à¥ निसà¥à¤µà¤°à¥à¤¥ सहयोग से उनकी लिखी हà¥à¤ˆ कविताओं का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ “बिखरे पनà¥à¤¨à¥‡â€,à¤à¤µà¤®à¥â€à¤…à¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿â€ नामक पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ में हà¥à¤†à¥¤ इनकी रचनाà¤à¤‚ कई साहितà¥à¤¯ अकादेमी पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¯ पतà¥à¤° पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤“ं में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ होती रहती है कई साहितà¥à¤¯ गोषà¥à¤ ियों ने इनà¥à¤¹à¥‡ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया है वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में दिलà¥à¤²à¥€ में है। |
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