विशेष (29/10/2023)
ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ मन ही मानवता की सचà¥à¤šà¥€ सेवा कर सकता है-- निरंकारी सतà¥à¤—à¥à¤°à¥ माता सà¥à¤¦à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ जी महाराज
समालखा, 29 अकà¥à¤¤à¥‚बर, 2023:- ‘‘ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ मन ही मानवता की सचà¥à¤šà¥€ सेवा कर सकता है और à¤à¤• सही मनà¥à¤·à¥à¤¯ बनकर पूरे विशà¥à¤µ के लिठकलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ जीवन जी सकता है।’’ यह उदà¥à¤—ार निरंकारी सतà¥à¤—à¥à¤°à¥ माता सà¥à¤¦à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ जी महाराज ने 28 अकà¥à¤¤à¥‚बर को 76वें वारà¥à¤·à¤¿à¤• निरंकारी संत समागम के पहले दिन के मà¥à¤–à¥à¤¯ सतà¥à¤° में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ विशाल मानव परिवार को समà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किà¤à¥¤ तीन दिवसीय निरंकारी सनà¥à¤¤ समागम का à¤à¤µà¥à¤¯ शà¥à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ कल निरंकारी आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤², समालखा, में हà¥à¤† है जिसमें देश-विदेश से लाखों-लाखों की संखà¥à¤¯à¤¾ में शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ à¤à¤•à¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤à¥‚पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ सजà¥à¤œà¤¨ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हà¥à¤ और सà¤à¥€ ने इस पावन अवसर का आनंद लिया। शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं में समाज के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ वरà¥à¤—ों के लोगों का समावेश होने से अनेकता में à¤à¤•à¤¤à¤¾ का सà¥à¤‚दर नज़ारा यहां देखने को मिल रहा है। सतà¥à¤—à¥à¤°à¥ माता जी ने फरमाया कि जीवन में सेवा à¤à¤µà¤‚ समरà¥à¤ªà¤£ का à¤à¤¾à¤µ अपनाने से ही सà¥à¤•à¥‚न आ सकता है। संसार में जब मनà¥à¤·à¥à¤¯ किसी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ के साथ जà¥à¥œà¤¾ होता है तब वहां का समरà¥à¤ªà¤£ किसी à¤à¤¯ अथवा अनà¥à¤¯ कारण से हो सकता है जिससे सà¥à¤•à¥‚न पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं हो सकता। à¤à¤•à¥à¤¤ के जीवन का वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• समरà¥à¤ªà¤£ तो पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¾à¤à¤¾à¤µ में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को अरà¥à¤ªà¤£ कर इस परमातà¥à¤®à¤¾ का होकर ही हो सकता है। वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• रूप में à¤à¤¸à¤¾ समरà¥à¤ªà¤£ ही मà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤• होता है। सतà¥à¤—à¥à¤°à¥ माता जी ने इसे अधिक सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ से बताते हà¥à¤ कहा कि किसी वसà¥à¤¤à¥ विशेष, मान-समà¥à¤®à¤¾à¤¨ या उपाधि के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जब हमारी आसकà¥à¤¤à¤¿ जà¥à¥œ जाती है तब हमारे अंदर समरà¥à¤ªà¤£ à¤à¤¾à¤µ नहीं आ पाता है। वहीं अनासकà¥à¤¤à¤¿ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को धारण करने से हमारे अंदर पूरà¥à¤£ समरà¥à¤ªà¤£ का à¤à¤¾à¤µ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाता है। परमातà¥à¤®à¤¾ से नाता जà¥à¥œà¤¨à¥‡ के उपरानà¥à¤¤ आतà¥à¤®à¤¾ को अपने इस वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤µà¤°à¥‚प का बोध हो जाता है जिससे केवल वसà¥à¤¤à¥-विशेष ही नहीं अपितॠअपने शरीर के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ वह अनासकà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤µ धारण करता है। अंत में सतà¥à¤—à¥à¤°à¥ माता जी ने कहा कि जब हम इस कायम-दायम निराकार की पहचान करके इसके पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¾à¤à¤¾à¤µ में रहेंगे, इसे हर पल महसूस करेंगे तब हमारे जीवन में आनंद, सà¥à¤•à¥‚न à¤à¤µà¤‚ आंतरिक शांति निरंतर बनी रहेगी। *सेवादल रैली:* समागम के दूसरे दिन का शà¥à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ à¤à¤• आकरà¥à¤·à¤• सेवादल रैली दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हà¥à¤†à¥¤ इस रैली में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· à¤à¤µà¤‚ दूर देशों से आठहà¥à¤ हजारों सेवादल सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवक à¤à¤¾à¤ˆ बहनों ने हिसà¥à¤¸à¤¾ लिया। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· के पà¥à¤°à¥à¤· सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवकों ने खाकी à¤à¤µà¤‚ बहनों ने नीली वरà¥à¤¦à¥€ पहन कर तथा विदेशों से आये सेवादल सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने अपनी अपनी निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ वरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ होकर à¤à¤¾à¤— लिया। दिवà¥à¤¯ यà¥à¤—ल के पावन सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ में आयोजित सेवादल रैली में सतà¥à¤—à¥à¤°à¥ माता सà¥à¤¦à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ जी महाराज ने शांति के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• रूप में मिशन के धà¥à¤µà¤œ को मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ फहराया। इस रैली में सेवादल दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शारीरिक वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ किया गया और मिशन की सिखलाई पर आधारित लघà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¿à¤•à¤¾à¤“ं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सेवा के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ आयामों को बड़े ही रोचक ढंग से उजागर किया गया। इसके अतिरिकà¥à¤¤ सेवादल नौजवानों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मानवीय आकृतियों के करतब à¤à¥€ दिखाठगठऔर खेल कूद के माधà¥à¤¯à¤® से सेवा के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सजगता à¤à¤µà¤‚ जागरà¥à¤•à¤¤à¤¾ का महतà¥à¤µ दरà¥à¤¶à¤¾à¤¯à¤¾ गया। अंत में बॅणà¥à¤¡ के धून पर सेवादल के सदसà¥à¤¯ सतà¥à¤—à¥à¤°à¥ के सामने से पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करते हà¥à¤ गà¥à¤œà¤°à¥‡ और अपने हृदयसमà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ सतà¥à¤—à¥à¤°à¥ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ किया। सेवादल रैली को समà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ सतà¥à¤—à¥à¤°à¥ माता जी ने कहा कि समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ à¤à¤¾à¤µ से की जाने वाली सेवा ही सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° होती है। जहां कही à¤à¥€ सेवा की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ हो उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° सेवा का à¤à¤¾à¤µ मन में लिठहम सेवा के लिठपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ होते हैं वही सचà¥à¤šà¥€ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ महान सेवा कहलाती है। यदि कहीं हमें लगातार à¤à¤• जैसी सेवा करने का अवसर मिल à¤à¥€ जाता है तब हमें इसे केवल à¤à¤• औपचारिकता न समà¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤ पूरी लगन से करना चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जब हम सेवा को सेवा के à¤à¤¾à¤µ से करेंगे तो सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को महतà¥à¤µ शेष नहीं रह जाता। जब हम à¤à¤¸à¥€ सेवा करते हैं तो उसमें तो निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप में उसमें मानव कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ का à¤à¤¾à¤µ निहित होता है। इसके पूरà¥à¤µ सेवादल के मेंबर इंचारà¥à¤œ पूजà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ विनोद वोहरा जी ने समसà¥à¤¤ सेवादल की ओर से सतà¥à¤—à¥à¤°à¥ माता जी à¤à¤µà¤‚ निरंकारी राजपिता जी का सेवादल रैली के रूप में आशिष पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने के लिठशà¥à¤•à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ किया। |
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