विशेष (09/10/2023)
कà¥à¤¯à¤¾ योग से सà¤à¥€ लोकों पर à¤à¥à¤°à¤®à¤£ किया जा सकता है ?

योग का विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ हमारे ऋषियों ने बहà¥à¤¤ पहले खोज लिया था । योग विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ से à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का जनà¥à¤® हà¥à¤† था । à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ हमें दिखाई देता है । इसलिठमनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ पर बहà¥à¤¤ शीघà¥à¤° विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ कर लेता है । लेकिन योग विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिखाई नहीं देता है इसलिठà¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• उस पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं करता है । कैसे काम करता है योग विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ ? आप इसको à¤à¤• वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• उदाहरण के माधà¥à¤¯à¤® से समठसकते हो । अà¤à¥€ हमारे वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•ों ने à¤à¤• चंदà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¨ 3 यान चंदà¥à¤°à¤²à¥‹à¤• पर à¤à¥‡à¤œà¤¾ है । उस यान का à¤à¤• यंतà¥à¤° पृथà¥à¤µà¥€ लोक के हरीकोटा शहर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है और à¤à¤• यंतà¥à¤° यान के साथ लगा हà¥à¤† है । जो पृथà¥à¤µà¥€ लोक का यंतà¥à¤° है उस यंतà¥à¤° से चंदà¥à¤°à¤²à¥‹à¤• के यान का यंतà¥à¤° संचालित हो रहा है । चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤²à¥‹à¤• के यान को पृथà¥à¤µà¥€à¤²à¥‹à¤• के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• संचालित कर रहे हैं । और चंदà¥à¤°à¤²à¥‹à¤• की जानकारी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर रहे हैं । वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• जो निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ चंदà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¨ के यंतà¥à¤° को देता है वही जानकारी या फोटो वहां से à¤à¥‡à¤œ दी जाती है । इसी पà¥à¤°à¤•ार हमारे शरीर में à¤à¥€ तीन यंतà¥à¤° लगे होते हैं । à¤à¤• यंतà¥à¤° शरीर में होता है और बाकी के दो यंतà¥à¤° दिखाई नहीं देते हैं । जिनको हम सूकà¥à¤·à¥à¤® शरीर और कारण शरीर कहते हैं । सà¥à¤¥à¥‚ल शरीर का यंतà¥à¤° बाकी के दो यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को संचालित करता है । हमारी 5 जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥‡à¤‚दà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¥€ 5 उपइनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ होती हैं । जैसे दोनों आंखे बंद हो जाती है तो तà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¥à¤° काम करता है । जब हम सà¥à¤µà¤ªà¤¨ अवसà¥à¤¥à¤¾ में होते हैं तो अचेतन मन के अधीन होकर सà¤à¥€ इंदà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ काम करती हैं । सà¥à¤µà¤ªà¤¨ अवसà¥à¤¥à¤¾ में à¤à¥€ हम संà¤à¥‹à¤— करते हैं सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ à¤à¥€ हैं, बोलते à¤à¥€ हैं और खाते à¤à¥€ हैं और टहलते à¤à¥€ हैं । यह सब सूकà¥à¤·à¥à¤® शरीर का कारà¥à¤¯ होता है । लेकिन यह automatic कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के अधीन होता है । ये सà¤à¥€ कारà¥à¤¯ सूकà¥à¤·à¥à¤® शरीर में à¤à¥€ होते हैं लेकिन सूकà¥à¤·à¥à¤® में 5 करà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿ नहीं होती हैं । इस कारण सूकà¥à¤·à¥à¤® शरीर हमें जानकारी देता है और उसका अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ सà¥à¤¥à¥‚ल शरीर करता है । जब योगी किसी दूसरे लोक पर à¤à¥à¤°à¤®à¤£ करने जाता है तो योगी योग से सूकà¥à¤·à¥à¤® शरीर का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करता है । यह सूकà¥à¤·à¥à¤® शरीर रूपी यंतà¥à¤° हमारे सà¥à¤¥à¥‚ल रूपी शरीर के यंतà¥à¤° के जà¥à¥œà¤¾ होता है और इसको मन और आतà¥à¤®à¤¾ मिलकर बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संचालित करते हैं । जब मन और आतà¥à¤®à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के माधà¥à¤¯à¤® से सूकà¥à¤·à¥à¤® शरीर को जो निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ दिया जाता है तो उस लोक में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सूकà¥à¤·à¥à¤® शरीर बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ रूपी यंतà¥à¤° के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जानकारी à¤à¥‡à¤œ देती है । इसी कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को जब योगी अपने योग के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ लोकों पर अपने सूकà¥à¤·à¥à¤® शरीर रूपी यंतà¥à¤° को à¤à¥‡à¤œà¤¤à¤¾ है तो उस लोक की सूकà¥à¤·à¥à¤® से सूकà¥à¤·à¥à¤® जानकारी हमें मिल जाती है । जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ ऋषि पाराशर जी ने इस योग विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के माधà¥à¤¯à¤® से ही की थी तथा आज जो हम गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ की जानकारी जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· में पà¥à¤¤à¥‡ हैं वो सिरà¥à¤« योग विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का चमतà¥à¤•ार है । जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· à¤à¤• पवितà¥à¤° विदà¥à¤¯à¤¾ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ है । इसको à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की पीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठबचाकर रखना होगा । अगर आज इससे हम ठगी करेंगे तो à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में कोई विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं करेगा । यह हमारे ऋषियों की धरोहर है इसको सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रखना हमारा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है । इस लिठयोगी साधक किसी à¤à¥€ लोक पर à¤à¥à¤°à¤®à¤£ कर सकता है । और योगी को किसी à¤à¥€ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के यंतà¥à¤° की आवशà¥à¤¯à¤•ता नहीं होती है । डॉ à¤à¤š à¤à¤¸ रावत ( वैदिक & आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• फ़िलॉसफ़र ) |
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