विशेष (28/08/2023)
"यादें धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤šà¤‚द की" हाकी के जादूगर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤šà¤‚द के जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤µà¤¸ पर विशेष
नई दिलà¥à¤²à¥€,28 अगसà¥à¤¤à¥¤ दादा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤šà¤‚द के जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ 29 अगसà¥à¤¤ को देशà¤à¤° में खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है लेकिन कà¥à¤› ही लोग यह जानते हो होंगे कि दादा हॉकी के ही बेहतरीन खिलाड़ी नहीं बलà¥à¤•à¤¿ कà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ में à¤à¥€ उनको शानदार बलà¥à¤²à¥‡à¤¬à¤¾à¤œ के रूप में जाना जाता था। शिवाजी सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¡à¤¿à¤¯à¤® पर हाकी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—िताओं के दौरान कई पूरà¥à¤µ हाकी खिलाडियों से बातचीत में कई यादगार घटनाà¤à¤‚ सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ को मिली, जो हमार जेहन में आज à¤à¥€ ताजा है। दादा के साथ रहने वाले लोगों ने à¤à¤• बार बातचीत में बताया कि सेना छोड़ने के उपरांत à¤à¤¨ ठà¤à¤¸ पटियाला में बतौर अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ थे। पटियाला में साल में à¤à¤• बार अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¥‹à¤‚ और वहां के छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के बीच कà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ मैच हà¥à¤† करता था à¤à¤¸à¥‡ में छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ की तैयारी चल रही थी तो दूसरी तरफ अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• à¤à¥€ मैं कà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ मैच को लेकर देर रात तक चरà¥à¤šà¤¾ करते थे। जिस दिन कà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ मैच होना था उसे दिन सà¥à¤¬à¤¹ दादा अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¥‹à¤‚ के कपà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के पास पहà¥à¤‚चे और कहा कि वह à¤à¥€ कà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ टीम में खेलेंगे। इस पर कपà¥à¤¤à¤¾à¤¨ ने कहा कि आपने तो हाकी खेली है, कà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ कैसे खेल पाओगे। लेकिन उनके सामने कौन बोल सकता था। मगर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤šà¤‚द को मैदान में कà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ खेलते देखा साथी अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• की नहीं बलà¥à¤•à¤¿ छातà¥à¤° à¤à¥€ मà¥à¤°à¥€à¤¦ हो गà¤à¥¤ उनके à¤à¤• साथी आज à¤à¤²à¥‡ ही दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में नहीं रहे हो लेकिन अकà¥à¤¸à¤° शिवाजी सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¡à¤¿à¤¯à¤® पर मौजूद रहते वकà¥à¤¤ वह अकà¥à¤¸à¤° किसà¥à¤¸à¤¾ बताया करते थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि उसे मैच में दादा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤šà¤‚द ने करीब 40 से 50 रनों की पारी खेली। यही नहीं जब दादा आउट होकर आठतो सà¤à¥€ ने उनका समà¥à¤®à¤¾à¤¨ अपनी सीटों से खड़े होकर किया। जिस पर दादा ने कहा à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ जब हाकी की सà¥à¤Ÿà¥€à¤• से हम गेंद नहीं जाने देते तो कà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ बैट तो चैड़ा होता है। यही नहीं इस मैच में पहली बार अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¥‹à¤‚ की टीम ने जीत à¤à¥€ दरà¥à¤œ की थी। -उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इसी तरह à¤à¤• किसà¥à¤¸à¤¾ और बताया कि à¤à¤• बार पटियाला में दादा हॉकी खेल रहे थे वह लगातार गोल करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करते और बाॅल बार-बार गोल पोसà¥à¤Ÿ से लगकर बाहर चली आती। दादा के जब तीन पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ पर गोल नहीं हà¥à¤† तो वहां मैच कराने वाले अंपायर को बà¥à¤²à¤¾à¤•à¤° दादा ने कहा गोल पोसà¥à¤Ÿ नापे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शक है कि गोल पोसà¥à¤Ÿ छोटा बना है। जिससे उनके निशाने गलत हो रहे हैं मैच का हाफ टाइम हà¥à¤† और अंपायर फीता लेकर गोल पोसà¥à¤Ÿ पर नापने पहà¥à¤‚चे। जिसके बाद अंपायर ने कहा कि दादा ने सही कहा है, गोल पोसà¥à¤Ÿ की लंबाई कम निकली। इस बात की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ उनके बेटे अशोक धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤šà¤‚द à¤à¥€ करते हैं मालूम हो कि अशोक à¤à¥€ दादा की तरह ही à¤à¤• शानदार हॉकी खिलाड़ी रहें। दिलà¥à¤²à¥€ से विजय कà¥à¤®à¤¾à¤° की रिपोरà¥à¤Ÿ |
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