मनोरंजन (26/05/2023)
दरà¥à¤¶à¤•à¥‹à¤‚ क रोंगटे खड़ी कर देने वाली दासà¥à¤¤à¤¾à¤‚ है ! 'औहाम'
छोटी हो या बड़ी, मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤ कà¤à¥€ बताकर नहीं आती. à¤à¤• ख़à¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² परिवार के लिठइससे बड़ी मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤ और कà¥à¤¯à¤¾ हो सकती है कि उसके घर का à¤à¤• सदसà¥à¤¯ अचानक से à¤à¤•â€Œâ€Œ दिन लापता हो जाठऔर किसी को फिर उसका कोई अता-पता ना चले? इसी हृदयविदारक कहानी को बड़े ही मारà¥à¤®à¤¿à¤• अंदाज़ में और रहसà¥à¤¯ व रोमांच के साथ डायरेकà¥à¤Ÿà¤° अंकित हंस ने पेश किया है. यह à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ रोंगटे खड़ी कर देने वाली दासà¥à¤¤à¤¾à¤‚ है, जिसे किसी दरà¥à¤¶à¤•à¥‹à¤‚ के लिठà¤à¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¾ इतना आसान नहीं होगा. शिवा (हृदय सिंह) और रिया (दिवà¥à¤¯à¤¾ मलिक) अपनी à¤à¤• बेटी (जनेशा सूरी) के साथ साधारण मगर ख़à¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ कर रहे होते हैं कि à¤à¤• दिन अचानक से रिया अपने घर से गायब हो जाती है. संदिगà¥à¤§ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में उसके गायब होने‌‌ की इस वारदात से शिवा टूट सा जाता है और रिया को दोबारा पाने‌ की कोशिशों में जी जान से जà¥à¤Ÿ जाता है. लेकिन उसकी तमाम कोशिशें नाकाम‌ साबित होती हैं और à¤à¤¸à¥‡ में वह यूपी पà¥à¤²à¤¿à¤¸ का सहारा लेता है. मगर इस केस की इंवेसà¥à¤Ÿà¥€à¤—ेशन‌ कर रहे पà¥à¤²à¤¿à¤¸â€Œ इंसà¥à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° (यशवंत) को जलà¥à¤¦ इस बात का आà¤à¤¾à¤¸ हो जाता है कि ये उनके करियर में अब तक का सबसे जटिल और उलà¤à¤¾ हà¥à¤† केस है, जिसे सà¥à¤²à¤à¤¾à¤¨à¤¾ किसी ऊंची पहाड़ी चढ़ने‌ से कम मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² नहीं है. रिया की गà¥à¤®à¤¶à¥à¤¦à¤—ी की जांच के दौरान‌ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के सामने रहसà¥à¤¯ की à¤à¤¸à¥€-à¤à¤¸à¥€ परतें खà¥à¤²à¤¤à¥€ हैं कि हर कोई à¤à¥Œà¤‚चकà¥à¤•à¤¾ रह जाता है. ससà¥à¤ªà¥‡à¤‚स-थà¥à¤°à¤¿à¤²à¤° फ़िलà¥à¤® 'औहाम' को निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤• अंकित हंस ने कà¥à¤› इस अंदाज़ में बड़े परà¥à¤¦à¥‡ पर पेश किया है कि कहानी में आने वाले हरेक टà¥à¤µà¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ और टरà¥à¤¨ के साथ दरà¥à¤¶à¤•à¥‹à¤‚ की उतà¥à¤¸à¥à¤•à¤¤à¤¾ आसमान छूने लगती है और दरà¥à¤¶à¤• ये जानने के लिठबेकरार हो जाता है कि अब आगे कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤› होने वाला है. यही 'औहाम' की सबसे बड़ी सफलता है कि दरà¥à¤¶à¤• फ़िलà¥à¤® देखते वकà¥à¤¤ à¤à¤• पल के लिठà¤à¥€ बोरियत महसूस नहीं करता है और अंत तक नज़रें गड़ाठफ़िलà¥à¤® के‌ à¤à¤• से बढ़कर à¤à¤• ख़à¥à¤²à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ को टकटकी लगाठदेखता रहता है. फ़िलà¥à¤® के सशकà¥à¤¤ लेखन से लेकर फ़िलà¥à¤® के लाजवाब निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¨ तक, फ़िलà¥à¤® का हरेक पहलू ग़ौर करने और देखने लायक है. फ़िलà¥à¤® को कà¥à¤› इस अंदाज़ में बयां किया गया कि à¤à¤• दरà¥à¤¶à¤•â€Œ के तौर पर आप फ़िलà¥à¤® में कहीं खो जाते हो और फ़िलà¥à¤® से à¤à¤• अलग तरह का जà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤µ महसूस करने लगते हो. दरà¥à¤¶à¤• परà¥à¤¦à¥‡ पर रहसà¥à¤¯ और रोमांच की परतों को उधड़ता देखते हà¥à¤ फ़िलà¥à¤® के साथ-साथ उसके जादà¥à¤ˆ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ में कब बहने लगता है, उसे पता ही नहीं चलता है. 'रिचा गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ फ़िलà¥à¤®à¥à¤¸' की पेशकश 'औहाम' तमाम कलाकारों के‌ अà¤à¤¿à¤¨à¤¯ के मामले‌ में à¤à¥€ à¤à¤• सशकà¥à¤¤ फ़िलà¥à¤® है. हरेक किरदार के लिठकलाकारों का चयन बड़े ही उमà¥à¤¦à¤¾ तरीके से किया गया है. पà¥à¤°à¤®à¥à¤– à¤à¥‚मिकाओं में हृदय सिंह, दिवà¥à¤¯à¤¾ मलिक और वरà¥à¤£ सूरी ने शà¥à¤°à¥‚ से लेकर अंत तक फ़िलà¥à¤®â€Œ में कमाल‌ का काम किया है. बाल कलाकार जनेशा सूरी (शà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾) पà¥à¤·à¥à¤ªà¤¿à¤‚दर सिंह (चेतन), राम नारायण चावला (बकà¥à¤¶à¥€) और अमित बालाजी (मंगत) ने à¤à¥€ अपने-अपने किरदारों को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ तरीके से निà¤à¤¾à¤¯à¤¾ है. देश à¤à¤° में आज रिलीज़ हà¥à¤ˆ à¤à¤• नायाब किसà¥à¤® की ससà¥à¤ªà¥‡à¤‚स-थà¥à¤°à¤¿à¤²à¤° फ़िलà¥à¤® 'औहाम' की मिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ को सà¥à¤²à¤à¤¤à¤¾ हà¥à¤† देखने के लिठआप à¤à¥€ अपने नज़दीकी सिनेमाघरों का रà¥à¤– करें. यकीनन, ये फ़िलà¥à¤® आपको कतई निराश नहीं करेगी और à¤à¤• नहीं à¤à¥‚लने वाले à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ से à¤à¤° देगी । |
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