राष्ट्रीय (22/12/2022)
ये विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ हैं या रेवड़ियाà¤? -डॉ. वेदपà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª वैदिक

दिलà¥à¤²à¥€ के उप-राजà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² वी.के. सकà¥à¤¸à¥‡à¤¨à¤¾ ने दिलà¥à¤²à¥€ की आम आदमी पारà¥à¤Ÿà¥€ को पतà¥à¤° लिखकर मांग की है कि वह सरकारी खजाने में 97 करोड़ रà¥. जमा करवाà¤à¥¤ यह वह पैसा है, जो दिलà¥à¤²à¥€ की आप सरकार ने विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ पर खरà¥à¤š कर दिया है। आप पारà¥à¤Ÿà¥€ ने उप-राजà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² को कह दिया है कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस तरह की मांग करने का कोई अधिकार ही नहीं है। और यदि आम आदमी पारà¥à¤Ÿà¥€ को 97 करोड़ रà¥. जमा करवाने हैं तो à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ को 22 हजार करोड़ रà¥. जमा करने होंगे, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसकी राजà¥à¤¯ सरकारों ने विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ की à¤à¥œà¥€ लगा रखी है। उप-राजà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² ने आपतà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤•ट की है कि दिलà¥à¤²à¥€ सरकार बाहरी पà¥à¤°à¤¾à¤‚तों में अपने विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ छपवा रही है? इस पर आप पारà¥à¤Ÿà¥€ ने आंकड़े इकटà¥à¤ े करके बताया है कि à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ सरकारों ने उकà¥à¤¤ मोटी राशि पà¥à¤°à¤¾à¤‚त-बाहर विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ पर ही खरà¥à¤š की है। आप पारà¥à¤Ÿà¥€ ने इसे मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ को उप-राजà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² का पà¥à¤°à¥‡à¤®-पतà¥à¤° कहा है। वासà¥à¤¤à¤µ में सरकारी विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ पर आजकल सà¤à¥€ सतà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥à¥ पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ बड़ी बेशरà¥à¤®à¥€ से पैसा बहाती हैं। यह जनता के टैकà¥à¤¸ से वसूला गया पैसा है। इन विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ के जरिठजनता को शासन के अचà¥à¤›à¥‡ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से परिचित करवाने की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ तो अचà¥à¤›à¥€ है लेकिन यह काम टीवी चैनलों और अखबारों के जरिठहोता ही है। लेकिन विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ के जरिठहर नेता अपनी बांसà¥à¤°à¥€ बजाना चाहता है। अपने ढोल और नगाड़े पिटवाना चाहता है। इन विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ में बà¥-चà¥à¤•र दावे किठजाते हैं, जो लोगों को गà¥à¤®à¤°à¤¾à¤¹ à¤à¥€ करते हैं और उनमें गलतफहमी à¤à¥€ फैलाते हैं। इस मामले पर सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ ने à¤à¥€ विचार किया था। उसने केवल उन विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ पर रोक लगाई है, जो पारà¥à¤Ÿà¥€-पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करते हैं। उसने सरकारी विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ पर रोक नहीं लगाई है। आप पारà¥à¤Ÿà¥€ को इस मामले में पहले दोषी à¤à¥€ पाया गया था। लेकिन बेहतर तो यह है कि सरकारी विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ के जरिठसरकारें टीवी चैनलों और अखबारों पर à¤à¤¯à¤‚कर दबाव बना देती हैं। लालच के मारे उनकी बोलती बंद हो जाती है। वासà¥à¤¤à¤µ में विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ à¤à¥€ रेवड़ी ही होते हैं। चà¥à¤¨à¤¾à¤µ के दिनों में जनता को रेवड़ियां बाटी जाती हैं और सादे दिनों में पूरी खबरपालिका को विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ की रेवड़ियां खिलाकर खरीद लिया जाता है। जनता को बांटी गई रेवड़ियों का परिणाम अनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होता है लेकिन खबरपालिका की रेवड़ियां तो दूसरे दिन ही साफ़-साफ़ दिखाई पड़ती हैं। |
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