विशेष (20/09/2022)
à¤à¥‚मिका रंगमंच दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नाटक मिरà¥à¥›à¤¾ साहब का सफल मंचन
नई दिलà¥à¤²à¥€ । à¤à¥‚मिका रंगमंच दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ नाटक, मिरà¥à¥›à¤¾ साहब का सफल मंचन 18 Sep 2022 को अकà¥à¤·à¤°à¤¾ थिà¤à¤Ÿà¤°, गोल मारà¥à¤•à¥‡à¤Ÿ दिलà¥à¤²à¥€ मे साय 5 बजे à¤à¤µà¤‚ 7 बजे हà¥à¤† | नाटक की पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ बेहद सराहनिठथी | नाटक, मिरà¥à¥›à¤¾ साहब और उस के परिवार के आस पास घूमता है| कंजूस मिरà¥à¥›à¤¾ की कंजूसी से उसके घर वाले बेहद परेशान रहते है | फारà¥à¤– मिरà¥à¥›à¤¾ का बेटा मरियम नाम की लड़की से मोहबत करता है लेकिन मिरà¥à¥›à¤¾ बà¥à¥à¤¾à¤ªà¥‡ मे उसी लड़की से निकाह करना चाहता है | उधर मिरà¥à¥›à¤¾ की बेटी अजरा à¤à¥€ नासिर से मोहबत करती है जो की अपनी पहचान बादल कर मोहोबत की खातिर मिरà¥à¥›à¤¾ के घर नौकर बन के रहता है | बाप बेटे की तीखी नोक à¤à¥‹à¤• दरà¥à¤¶à¤•à¥‹ को हसने पर मजबूर करती है | फारà¥à¤– मà¥à¥žà¤²à¤¸à¥€ मे जी रही मरियम की मदद करना चाहता है लकीन कंजूस मिरà¥à¥›à¤¾ की वà¤à¥‡ से लाचार है | नाटक मे कई रोचक परीसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨ होती है जो दरà¥à¤¶à¤•à¥‹ का à¤à¤°à¤ªà¥‚र मनोरंजन करती है | नाटक के अंत मे सब समानय हो जाता है | राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤¯ नाटà¥à¤¯ विधालिया से सनातक गà¥à¤²à¤¶à¤¨ वालिया ने मिरà¥à¥›à¤¾ के किरदार को जीवंत कर दिखाया | उनका अà¤à¤¿à¤¨à¤¯ मà¤à¤¾ हà¥à¤† और सराहनिय था | साथी कलाकारो मे सतीश, जय गोपाल छाबरा, अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤– , रीतिका, सिमरन, सà¥à¤®à¤¿à¤¤, दविंदर, गायतà¥à¤°à¥€ मिशà¥à¤°à¤¾ , मंतरा ने à¤à¥€ अपने अपने किरदार को यादगार बनाया| नाटक का निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¨ गà¥à¤²à¤¶à¤¨ वालिया के किया | नाटका मे लाइट डिज़ाइन अविनाश देशपांडे जी मे की à¤à¤µà¤‚ नाटक का संगीत अà¤à¤¿à¤¨à¤µ और मंतà¥à¤° ने किया | à¤à¥‚मिका रंगमंच ने पिछले 25 सालो मे देश मे कई नाटको का सफल मंचन किया à¤à¤µà¤‚ कई नाटà¥à¤¯ कारà¥à¤¯ शालाओ का आयोजन à¤à¥€ किया, नाटक का संगीत अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• और मंतà¥à¤°à¤¾ ने पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया । |
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