राष्ट्रीय (03/05/2015)
विश्वास है तो सब है: आचार्य महेन्द्र शर्मा
आचार्य महेन्द शर्मा से खास बात चीत प्रश्र : आपका ज्योतिष विद्या और पूर्वजन्म में लोगों को ले जाना एक साथ दो कार्यों का ज्ञान होना। कैसे संभव हो पाया आपके लिए। और आपका इस तरफ आना कैसे हुआ? उत्तर : जी, मेरे पूर्वजों द्वारा बरसों से चलाई जा रही यह विद्या है। जो ज्योतिष और तंत्र एक साथ चली आ रही है यह हमारी परम्परा रही है। इस विद्या में हमारे खानदान के लोग बरसों से काम करते आ रहे हैं और जहां तक मेरी बात है तो मैं अपने पूर्वजों की इस परम्परा को आगे बढ़ा रहा हूं। इसके लिए सात वर्ष तक मैंने वृंदावन और बनारस में रहकर भागवत अध्ययन, तंत्र अध्ययन व ज्योतिष विद्या का अध्ययन किया है। हमारी 14 पीढिय़ों से ये काम होता आ रहा है। जिसमें काक विद्या, ज्योतिष विद्या, तंत्र विद्या तथा कर्मकाण्ड शामिल हैं। हमारे भराणु खानदान के लोगों की तंत्र विद्या में बरसों से जबरदस्त पकड़ मानी जाती है। मैं अपने पूर्वजों की इस परम्परा को आगे ले जा रहा हूं। इसके लिए जहां मैंने शिक्षा ली वहीं सात साल तक मैंने शोध भी किया। मैं इस विषय में नए आयाम स्थापित करने के लिए प्रयासरत हूं। प्रश्र : पिछले जन्म के बारे में आप कुछ बताएं। कैसे आप पिछले जन्म में लोगों को ले जाते हैं और अभी तक आपने तने शिविर लगाए हैं? उत्तर : काल योग के माध्यम से मैं लोगों को पिछले जन्म में ले जाकर उनके पिछले जन्म से अवगत करवाता हूं। जिसके चलते अभी तक 5०० से ज्यादा शिविर प्रदेश और अन्य राज्यों में लगा चुका हूं। यहां तक कि कई टीवी कार्यक्रमों में भी अपने कार्यक्रम दिए हैं। प्रश्र : पूर्वजन्म के अलावा ज्योतिष विद्या और तंत्र विद्या के बारे में कुछ बताएं? उत्तर : जी, लोगों को किसी भी प्रकार की समस्या तथा ग्रहों की दशा मैं कुंडली देखकर उपाय बताता हूं। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार की अन्य समस्याएं, बच्चों की पढ़ाई को लेकर समस्या हो या फिर पारिवारिक या शारीरिक। मैं जटिल से जटिल समस्याओं का समाधान अपनी विद्या द्वारा करता हूं। प्रश्र : शारीरिक कष्ट की जो बात है तो क्या आप बीमारियों का भी ईलाज करते हैं? उत्तर : जी हां, मैं मंत्रोच्चारण द्वारा कैंसर तथा जोड़ों के दर्द का ईलाज भी करता हूं। प्रश्र : आप कितने साल से इस कार्य को कर रहे हैं? उत्तर : मैंने सात साल की आयु में कालयोग की शिक्षा ग्रहण की। मैं पढ़ाई के साथ-साथ अपने बड़े बुजूर्गों से इस कार्य को देखता और सीखता था। बीए करने के बाद मैंने वृंदावन और बनारस जाकर बाकि शिक्षा ग्रहण की। प्रश्र : इस कार्य के अलावा आप और क्या कर रहे हैं? उत्तर : मैं सामाजिक कार्यों में भी हिस्सा लेता हूं और सामाजिक कार्य भी कर रहा हूं। राजधानी शिमला में गौशाला का निर्माण कार्य कर रहा हूं। इसके अतिरिक्त ज्योतिष विद्या और तंत्र के आसान उपाय लोगों की समस्या को लेकर अपनी एक पुस्तक भी लिख रहा हूं जिसे मैं जल्दी ही पूरा करके लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए समर्पित करूंगा। एक बात मैं आपको अवश्य बताना चाहूंगा। मेरे पूर्वजों द्वारा जिला शिमला के सराहन स्थित भीमाकाली माता के मंदिर में नर बलि जो ली जाती उसे बंद किया गया। क्योंकि मेरे पूर्वजों द्वारा मंत्रोच्चारण से माता को खुश किया गया जिसके चलते नर बलि पर अंकुश लगा। यह आपको वहां के बहिखातों में भी लिखा मिल जाएगा। प्रश्र : आप हिमाचल के अलावा और कहां-कहां अपनी विद्या द्वारा काम कर रहे हैं? उत्तर : जी मैं हिमाचल के अलावा हरियाणा, दिल्ली,उत्तराखण्ड और पंजाब में अपनी विद्या के द्वारा बहुत से लोगों की समस्याओं हेतु कार्य कर रहा हूं। प्रश्र : इसके अलावा और क्या इस विद्या में आप कर सकते हैं? उत्तर : जी मैं 9 साल से कम बच्चों की आंखों में पट्टी बांधकर किसी भी व्यक्ति के आगे का भविष्य कैसा होगा, के बारे में बता सकता हूं। |
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