हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा में विवाह में आठवां फेरा लेने पर सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, आठवां फेरे में नव दम्पति को यह शपथ लेनी होगी कि वो कन्या भ्रूण हत्या नहीं करेंगे, महिलाओं का सम्मान करेंगे और महिलाओं की सुरक्षा में सहयोग देंगे । मुख्यमंत्री रविवार को फोरम फॉर अवेयरनेस ऑफ नेशनल सिक्योरिटी के पंचकुला के सेक्टर -14 स्थित किसान भवन में आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र्रीय सुरक्षा में कुछ बाह्य खतरों के साथ-साथ आंतरिक खतरे भी होते हैं। आंतरिक खतरों में स्त्री-पुरूष का असंतुलन भी एक है। हरियाणा लिंग अनुपात के मामले में काफी पीछे है। इसी कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी को यहीं से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरूआत की। बेटी बचाओ सरकार की प्राथमिकता है। बेटा-बेटी में अंतर की धारणा, बाल विवाह की कुरीति और असुरक्षा की भावना को खत्म करने के लिये सरकार प्रयासरत है। गरीब परिवारों में पहली बेटी के जन्म पर लाडली स्कीम के तहत 21 हजार रुपये की राशि जमा कराई जाती है जो 18 साल बाद एक लाख रुपये होकर वापस मिलती है। यह योजना दो बेटियों तक है। इसे अनुसूचित जाति और बीपीएल वर्ग के लिये यह सुविधा तीसरी बेटी तक भी दी जा रही है। यह अभियान तब तक जारी रखा जायेगा जब तक बेटों की बराबर बेटियों की संख्या नहीं हो जाती। उन्होंने इस फोरम द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि फोरम राष्ट्रीय सुरक्षा, नशा व महिलाओं के शोषण के प्रति लोगों को जागरूक करके सराहनीये कार्य कर रही है , ऐसे सामाजिक कार्यों के लिए अनय संस्थाओं को आगे आना चाहिए । वहीं विशिष्ट अतिथ के तौर पर कार्यक्रम में पहुंचे केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि दो-तीन दशकों के भीतर देशों के बीच बनावटी दीवारें नहीं रहेंगी। भविष्य में राष्ट्रीय सुरक्षा की परिभाषा बदलने वाली है। परिभाषित सीमायें तो राजनेताओं की रणनीति का हिस्सा हैं। आज देश के सामने सबसे बड़ा खतरा उग्रवाद से है। उग्रवाद को ड्रग माफिया से सहायता मिलती है। आज राजनैतिक स्वार्थ सिद्धी के लिये भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर मिथ्या प्रचार किया जा रहा है। भाजपा सरकार किसान हितों से एक ईंच इधर-उधर नहीं जायेगी। अध्यादेश किसान हित में है। बदलते परिपेक्ष्य में परिभाषायें बदलेंगी। देश की सुरक्षा सिर्फ सीमाओं पर खड़े प्रेहरियों की नहीं है। आज देश किस मानकिसता से आगे बढऩा चाहते हैं यह पता लगायें। हिंदुस्तान दूसरों की नजरों में लीडर बने, ऐसी उम्मीद है। |