एक बार में बरसा सकता है पूरे पाकिस्तान, आधे चीन पर बम नई दिल्ली । देश को जिस तरह के लड़ाकू विमानों की बीते 14
साल से दरकार है, उसके लिए
आखिरकार सौदा हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी फ्रांस यात्रा के
दौरान 36 राफेल जेट फाइटर खरीदने की डील की है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा
है कि दो साल में वायुसेना को राफेल विमान मिल जाएंगे। यह लड़ाकू विमान फ्रांस की कंपनी
दा सॉल्त बनाती है। वायुसेना को चीन और पाकिस्तान से हिफाजत के लिए 2001 से इस तरह
के विमान की जरूरत थी। राफेल ब्रह्मोस जैसी 6 मिसाइलें एक साथ ले जा सकता है। एक
बार में इसकी उड़ान भरने की रेंज है 3700 किलोमीटर। यानी अगर इन विमानों की एक
टुकड़ी मिशन पर निकली तो पूरा पाकिस्तान और बीजिंग सहित आधे से ज्यादा चीन इसकी जद
में होगा। राफेल का फ्रेंच में मतलब होता है तूफान। राफेल 2 इंजन वाला
मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट है। फ्रांस सरकार ने 4 यूरोपीय देशों के साथ मिलकर इसे
बनाना शुरू किया था। बाद में जब बाकी तीन देश अलग हो गए तो फ्रांस ने अकेले दम पर
ही प्रोजेक्ट को पूरा किया। राफेल को लीबिया, माली और इराक में इस्तेमाल किया जा चुका है।
अफगानिस्तान में अल कायदा के खिलाफ नाटो के अभियान में इसकी बड़ी भूमिका रही थी। राफेल विमान ब्रह्मोस जैसी 6 सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल या 3
लेजर गाइडेड बम ले जाने में सक्षम है। इसमें एक बार में 4700 किलोग्राम फ्यूल आता
है। यह 5 हजार किलोग्राम वजनी बम या मिसाइल अपने साथ ले जा सकता है। यह लगातार 10
घंटे तक उड़ सकता है। इसकी खूबी यह है कि यह एयरबेस के साथ किसी भी एयरकाफ्ट कैरियर
से भी उड़ान भरने में सक्षम है। भारत के लिए यह बात इसलिए अहम है, क्योंकि हमारी
नौसेना के पास दो विमानवाहक पोत हैं। राफेल उन पर भी तैनात किए जा सकते हैं। पाकिस्तान के पास अभी सबसे आधुनिक प्लेन जेएफ-17 थंडर है। इसे
पाकिस्तान और चीन ने मिलकर बनाया है। वहीं, चीन के पास जेएफ-17 तो है ही, वह रूस से सुखोई-27
विमान खरीदकर भी अपनी क्षमता बढ़ा रहा है। भारत के मौजूदा मिग विमानों की तुलना में
जेएफ-17 और सुखोई-27 काफी नए हैं। इसलिए राफेल विमानों की भारत को तुरंत जरूरत है। |