लखनऊ । पूर्व संचार मंत्री कपिल सिब्बल का देश के करोड़ों मोबाइल ऑपरेटरों को दिखाया फ्री रोमिंग का सपना पूरी तरह टूट चुका है। रोमिंग के नाम पर हो रही मनमानी कमाई को लेकर ऑपरेटर किसी भी तरह के समझौते के लिए कतई तैयार नहीं हैं। इसके चलते उन्होंने ट्राई के प्रपोजल को ठेंगा दिखाते हुए अपने हिसाब से रोमिंग दरें तय करा दीं। इससे उपभोक्ताओं को खास राहत नहीं मिलेगी ट्राई के सेक्रेटरी सुधीर गुप्ता ने 27 फरवरी को रोमिंग की नई
दरों का जो प्रपोजल दिया था। अगर वह लागू हो जाता तो उपभोक्ताओं को खासी राहत
मिलती। लेकिन ऑपरेटरों ने ट्राई के प्रपोजल को ठुकराते हुए नुकसान का बहाना बताकर
रोमिंग टैरिफ में संशोधन करा लिया। अब ग्राहकों की जेबें ढीली हो सकती हैं। ट्राई से जुड़े सूत्रों
की मानें तो 3 बड़े ऑपरेटर लगातार यह दबाव बना रहे थे कि उनकी लागत के हिसाब से
खर्च नहीं निकल पा रहा है। इसलिए वह रोमिंग दरों को और अधिक सस्ती करने के पक्ष
में नहीं हैं। ऑपरेटरों को अच्छी तरह से पता है कि रोमिंग के दौरान लोग एसएमएस के
बजाए वॉटस ऐप और हाईक मैसेंजर जैसी सुविधाओं जरिए मैसेजिंग करते हैं। दूरसंचार क्षेत्र के जानकारों की मानें तो उन्होंने एसएमएस की
दरों में तो 75 फीसदी की छूट मान ली। पर कॉल दरों में वह 23 प्रतिशत से अधिक की
कटौती पर राजी नहीं हुए। वहीं रोमिंग के दौरान ज्यादातर उपभोक्ता रोमिंग फ्री वाउचर
लोड करा लेते हैं इसलिए इनकमिंग रोमिंग कॉल से उन्हें कोई खास आमदनी नहीं होनी है, जबकि आउटगोइंग कॉल
से उनकी कमाई अधिक होती है, जिसकी वजह उसे वह उनकी दरों में ज्यादा
कटौती के लिए राजी नहीं हुए। इसी वजह से इनकमिंग वॉइस कॉल को छोड़कर आपरेटरों ने
ट्राई की प्रस्तावित दरों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। |