राष्ट्रीय (12/04/2015)
गेंहू की कटाई के लिए नहीं है कोई भी तैयार
ओलावृष्टि व बेमौसमी बरसात से गिरी फसल को नहीं मिल रहे काटने वाले लाडवा : मौसम साफ होते ही किसानों में अपनी गेहूं की फसल कटवाने के लिए आपाधापी मच गई है, लेकिन न तो उनको फसल कटाई के लिए मजदूर ही मिल पा रहे हैं और न ही खराब फसलों को मशीनों से ही काटा जा सकता है। ऐसे में किसानों के सामने अब बिछी गेहूं की फसलों को कटवाने का संकट पैदा हो गया है। यहीं नहीं सरकार ने विशेष गिरदावरी के तो आदेश दे दिए हैं, लेकिन अधिकारियों के चक्कर काट-काटकर थकने के बावजूद अधिकारी खेतों तक नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे में किसानों को समझ ही नहीं आ रहा है कि वह क्या करें। लाडवा की रहने वाली राजरानी के अनुसार उसकी लाडवा के पास घडौला गांव में पड़ने वाली जमीन में खड़ी गेहूं की अधिकतर फसल खराब हो गई है, लेकिन अधिकारियों के चक्कर काट-काटकर थकने के बावजूद अभी तक उनके खेतों तक कोई अधिकारी नहीं पहुंचा है। ऐसे में एक तरफ तो फसल खराब हो गई है, दूसरी तरफ किसानों को अधिकारियों के चक्कर काटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। किसानो का कहना है कि सरकार विशेष गिरदावरी के दावे तो कर रही है, लेकिन खेतों में किसानों के बाट जोहने के बावजूद कोई अधिकारी उन तक नहीं पहुंंच रहा है। वहीं लाडवा के रहने वाले अनिल कुमार का कहना है ओलावृष्टि व बेमौसमी बरसात से खराब हुई व बिछी गेहूं की फसल को कंबाइन से काटा नहीं जा रहा और मजदूर इसको दोगुने दाम पर भी काटने को तैयार नहीं, ऐसे में किसानों के सामने अब इसको काटने की दिक्कत खड़ी हो गई है। किसानों का कहना है कि उनको इसे मजबूरन खेत में ही जुताई करनी पड़ेंगी और नष्ट करना पड़ेंगा। ओलावृष्टि व बेमौसमी बरसात से खराब होने के साथ-साथ जमीन पर बिछी गेहूं की फसल की कटाई के लिए किसानों को हाथ से गेहूं की फसल कटाई करने वाले मजदूरों की जरूरत है। इसके अलावा पहले से नष्ट फसलों को यदि किसी तरह मशीनों से कटवाया गया तो पर्याप्त मात्रा में सूखा चारा यानि भूसा बनाने मे भी दिक्कत खड़ी हो जाएगी। ऐसे में किसान हाथ की कटाई पर जोर दे रहा है, मजदूर अब इस काम को करना ही नहीं चाहते हैं तो किसानों के सामने मजदूरों की बहुत बड़ी दिक्कत खड़ी हो गई है। सरकार ने चाहे खाद्य सुरक्षा योजना सभी लोगों को रोटी मुहैया कराने के लिए शुरू की हो, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर इस समय खेती के काम पर पड़ता दिख रहा है। वर्ष भर की रोटी के जुगाड़ के लिए इन दिनों अधिकतर मजदूर वर्ग खेती के काम से जुड़ जाता था और कटाई के साथ-साथ खेती के अन्य कार्यों में अपनी भागेदारी निभाकर खेतों से फसल मंडी तक पहुंचवाने का काम करता था, लेकिन सस्ते में पूरे अनाज मिलने से कोई भी मजदूर खेतों में काम करने का इच्छुक नहीं क्योंकि उसको पूरे वर्ष की रोटी की अब उतनी चिंता नहीं है। भाकियू के प्रदेश प्रवक्ता राकेश कुमार का कहना है कि सरकार की इस योजना से न केवल मजदूरी महंगी हुई है, बल्कि खेती के लिए मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं। इससे खेती करना महंगा व दिक्कत भरा हो गया है। लाडवा में अपनी ओलावृष्टि व बेमौसमी बरसात के कारण खेतों में बिछी पकी फसल दिखाता किसान। |
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